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________________ ३] ३८. ३९. ४०. ४१. ४२. ४३. ४४. ४५. ४६. ४७. भ म य र " 33 Jain Education International तालु मूर्धा ल दन्त व श तालु ष मूर्धा दन्तोष्ठ स दन्त ह कंठ लक्ष्मी वीज-विरोधी आह्वान वीज काम वीजमूल सर्व वीजमूल सहसारप्रक्रम् (७) अग्नि वीज श्री वोजमूल सरस्वती वीज वीणा की खूँटी पिङ्गला वैरवरी वाणी/ हृदय देश कुण्डलिनी समान वायु वैश्वानर अग्निनाभि Hrittrter आकाश आकाश वायु अग्नि पृथ्वी पृथ्वी वायु अग्नि जल वायु न. न. पु. न. स्त्री. स्त्री. ! पु. पु. न. जैन शास्त्रों में मन्त्रवाद सात्विक विरोधी सिद्धि, सन्तान शान्ति, सिद्धि शक्ति वृद्धि वै. वै. आज्ञाचक्रम् (६) D वीणा की खूँटी सुषुम्ना - इडा • विशुद्धचक्रम् (५) क्ष. क्ष. क्ष. क्ष. क्ष. क्ष. क्ष. क्ष. मध्यमा वाणी 'अनाहतचक्रम् (४) पश्यन्ती वाणी मणिपूरचक्रम् (३) For Private & Personal Use Only लक्ष्मी, कल्याण विपत्ति निवारक निरर्थक सिद्धिदायक सर्वसाधक मंगल साधक स्वाधिष्ठानचक्रम् (२) - मूलाधारचक्रम् (१) परा वाणी चित्र १. शरीर तंत्र में विभिन्न चक्र और नाड़ियाँ ( सौजन्य डॉ० वागीश शास्त्री ) २०५ www.jainelibrary.org
SR No.012026
Book TitleJaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherJaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size14 MB
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