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________________ ध्यान का शास्त्रीय निरूपण १२५ सारणी ५ : विभिन्न पद्धतियों में ध्यान योग दर्शन जैन दर्शन बौद्ध दर्शन १. सामान्य नाम (i) योग (i) संवर, योग (i) खमाधि, ध्यान (ii) ध्यान ध्यान विपश्यना २. घटकता अष्टांग योग का सातवाँ घटक सत्तावन प्रकार के संवर के अष्टांगमार्गका७-८वां अन्तरंग तप का घटक घटक ४. भेद निरूपण एवं समकक्षता १. यम ५ दशधर्म १० अहिंसा उत्तम क्षमा, मृदुता, ऋजुता, शौच सम्यक् दृष्टि, संकल्प सत्य उत्तम सत्य सम्यक् वचन अस्तेय उत्तम संयम, तप, त्याग सम्यक् कर्म ब्रह्मचर्य उत्तम ब्रह्मचर्य सम्यक् व्यायाम, कम अपरिग्रह उत्तम अकिंचनता सम्यक् जीविका २. नियम ५ शौच धर्म का चौथा अंग सम्यक् कर्म संतोष धर्म का चौथा अंग सम्यक् कर्म तप धर्म का सातवाँ अंग-१२ सम्यक् कर्म स्वाध्याय अंतरंग तप का चौथा रूप ईश्वर प्रणिधान ३. आसन कायक्लेश, तप का छठा अंग ४. प्राणायाम कायोत्सर्ग ५. प्रत्याहार तीन गुप्ति, पांच समिति, ८ सम्यक् कर्म, सम्यक् स्मृति ६. धारणा ध्यान का रूप ७. ध्यान संयम ध्यान के ४ भेद ८. समाधि ध्यान फल, शुक्ल ध्यान समाधि, बोधि (सवीज, निर्वीज) (अवितर्क, सविचार आदि ४ भेद) (स-उपाधि, अनुपाधि) परीषह जय सम्यक् प्रयत्न अनुप्रेक्षा सम्यक् विचार सम्यक् चारित्र सम्यक् कर्म ५. ध्याता सभी व्यक्ति व्यक्तियों के शरीर, मनोवृत्ति एवं सभी व्यक्ति क्षमता पर निर्भर ६. ध्येय, आलम्बन रूपी, रूपातीत सरूपी, रूपातीत, आंतर, वाह्य रूपी, रूपातीत ७. कालावधि अनिर्दिष्ट गृहस्थों के लिये ४८ मिनट ८. ज्यान फल समाधि, चरम आत्मिकविकास चरम सुख, विकास बोधि प्राप्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012026
Book TitleJaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherJaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size14 MB
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