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________________ पंडित जी के वर्तमान उद्गार १. धर्म धर्म के सम्बन्ध में मैं आश्वस्त हूँ। धर्म में नये विचारों और सुधारों की कोई गुंजाइश नहीं । हाँ, उसके परिपालन में देश, काल व परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन सम्भव है। २. शिक्षा शिक्षा के क्षेत्र में मैंने संस्कृत व धर्मशिक्षा की संस्थायें ही देखी हैं। पर इतना जानता हूँ कि बिना नैतिक शिक्षा के, बिना नैतिक शिक्षकों के जीवन-सुधार सम्भव नहीं । पर दोनों का अभाव है। समाज को अपने धन, श्रम और समय का विनियोग मिडिल स्कूल, हाईस्कूल या कालेजों की स्थापना में नहीं करना चाहिए। उन्हें धार्मिक शिक्षण संस्थाओं की, छात्रवृत्ति फंडो की, जैन छात्रावास तथा जैन पुस्तकालयवाचनालयों की स्थापना करनी चाहिए । धर्मविशेष की सुरक्षा एवं संरक्षण उसके अनुयायियों को करना होगा। ३. राजनीति आजकल इस देश में लूट-कपट, चोरी-घूसखोरी की राजनीति ऊपर से नीचे चल रही है। उसी का प्रभाव जनता पर व नवयुवकों पर पड़ता है। यह अवश्यम्भावी है। नैतिकता प्रेरित राजनीति ही देश का भला कर सकती है। ४. खानपान मांस, मदिरा का प्रभाव हिंसा, झठ, ठगौरी आदि को ही बढ़ावा देगा। आतंकवादियों द्वारा भारत की जो वर्तमान दशा की जा रही है, वह इनके उपयोग से और बढेगी। इनके उपयोग से मानस भी तामसिक बनेगा। इन्हें राष्ट्रीय अभक्ष्य मानना चाहिये । ५. सामाजिक संस्थाएं (अ) जो व्यक्ति बार-बार संस्थायें बदलता है, वह अप्रतिष्ठित होता हैं । जो संस्थायें व्यक्तियों को बदलती रहती हैं, वे भी अप्रतिष्ठित होती हैं । (व) समाज की संस्थाओं में समाज के लोग ही फूट डालते हैं। यह प्रवृत्ति अच्छी नहीं। इसके अभाव में ही संस्थायें समाजहित करेंगी। ६. विद्वान् गुरुवर पंडित देवकीनन्दन जी के अनुभव के आधार पर मैं भी कहता है कि समाज में हमें अनेक अवसरों पर मार्गदर्शन और समझौतों के लिए बुलाया जाता है। यदि हम लोग वैमनस्य तथा समस्या सुलझा भी देते हैं, तो उसकी मान्यता स्थायी नहीं रहती। अत: विद्वान् को समाज का काम तटस्थ और निरपेक्ष भाव से करना चाहिए। समाज विद्वान् की बात न माने, तो भी अपने परिणाम कलषित नहीं करना चाहिए। कुण्डलपुर, २०. ८. १९८८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012026
Book TitleJaganmohanlal Pandita Sadhuwad Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherJaganmohanlal Shastri Sadhuwad Samiti Jabalpur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size14 MB
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