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________________ सावारत्नपुष्पवता आभनन्दन ग्रन्थ - - - - नहीं कर सकीं। निराशा के कुहरे में भी वे सदा न नवीनता के प्रति आकर्षण है । आप समीचीनता आशा के दीप संजोये रहती हैं। चारों ओर अभिनव को महत्त्व देती है आपका मन्तव्य है कि जो समीआलोक की रश्मियाँ बिखेरती रहती हैं। चीन हैं उसे हमे अपनाना चाहिए। प्राचीनता के ____ महासतीजी के जीवन में सत्यं शिवं और सुन्दरम् नाम पर जो रूढ़ियाँ पनप रही है वे ठीक नहीं हैं। का मधुर संगम हआ है । वे तत्त्वद्रष्टा हैं, एक और आधुनिकता के नाम पर जो भौतिकता की सफल साधिका है और कलाकार है। पाश्चात्य आंधी आ रही है, वह भी उचित नहीं है। मनीषियों ने साधना और कला में विरोध माना है। महासती पुष्पवतीजी मेरी सद्गुरुणी जी की उनका मन्तव्य है कि वे दोनों पूर्व और पश्चिम की लघु गुरु बहिन हैं । मैंने अनेक बार आपश्री के तर है। उनमें कभी समन्वय सम्भव नहीं । पर दर्शन किये । आपश्री के चरणों में रहने का अवसर आपने कला के लक्ष्य को आध्यात्मिकता से ओत- भी मिला, मैंने बहत ही निकटता से आपश्री को प्रोत कर यह सिद्ध कर दिया है कि कला साधना में देखा । आपका जीवन पुष्प के समान ही खिला हुआ बाधक नहीं, अपितु साधक है । साधना भी कला ही है। आपके जीवन में सादगी है संजीदगी है और है जिस साधना में कला नहीं वह साधना नहीं, सभी के प्रति स्नेह सद् भावना है। समय-समय पर विराधना है। मुझे हित शिक्षाएँ दी हैं। आपका मेरे जीवन पर आपका जीवन बडा अदभुत जीवन है। आपका महान उपकार है। मस्तिष्क चिन्तन की ऊर्वरस्थली है। आपके हृदय आपकी साधना बहुत ही यशस्वी रही है। में साधना की सरस सरिता प्रवाहित है। और आपने अपने जीवन में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए आपके हाथ, पैर अङ्गोपाङ्ग विविध कला की हैं। आपने सैकड़ों श्रद्धालुओं को धार्मिक अध्ययन उपासना में संलग्न है। इस तरह आपके जीवन में करवाया सेकड़ों को प्रतिबोध देकर सम्यकत्त्व और चिन्तन साधना और कला का त्रिवेणी संगम आहै। व्रत दीक्षाएँ प्रदान की है। आप का जीवन सभी के आज समाज में प्राचीनता और नवीनता का लिए प्रेरणा दायी रहा । हमारी साधना आपके नेतत्व ज्वलन्त प्रश्न चल रहा है। कुछ लोग प्राचीनता के में पल्लवित और पुष्पित हो। हम इस मंगलमय पक्षधर हैं तो कुछ लोग नवीनता के उपासक हैं। बेला में अपने हृदय की अपार श्रद्धा आपके चरणों पर आपके मन में न प्राचीनता के प्रति द्वष है और में समर्पित करते हैं । Anti ...... a.opan.. युग-युग जीवे सती - विपिन जारोली साध्वी श्री पुष्पवती, विदुषी औ महासती, मेदपाट गौरव की, अनमोल पूती है । न्याय नीति आगम की, भक्ति-ज्ञान संयम की शील सदाचार सेवा, जीवन में युति है। उपाध्याय पुष्कर की, अनमोल शिष्या रान वसमती चन्दना के शासन की दती है। संयम की अर्द्ध शती, युग-युग जीवे सती जन सेवा जिसकी तो आसमां को छूती है। - एक तेजोमय व्यक्तित्व | १७: . HD 4 Relarinternalore
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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