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________________ श्रीमान धर्मप्रेमी गुरुभक्त धर्मानुरागिनी स्व. मांगीलालजी आसूलालजी रांका, बक्सुबाई, धर्मपत्नीगढ़सिवाना (राज.) स्व. श्री लक्ष्मीचन्दजी पारलेचा समदड़ी गढ़सिवाने का रांका परिवार हर क्षेत्र में समदड़ी बाडमेर जिले का एक सुन्दर कस्बा है बांका रहा है। स्व० श्रीमान माँगीलालजी सा० जहां पर चमत्कार केसरी अध्यात्मयोगी श्री ज्येष्ठ रांका एक धर्मनिष्ठ परम गुरुभक्त सुश्रावक थे। मलजी म० सा० ने जन्म, दीक्षा, स्वर्गवास प्राप्त उनके जीवन के कण-कण में देव, गुरु और किया। जिनकी साधना के पावन परमाणु आज भी धर्म के प्रति अपार निष्ठा थी। जब उपाध्याय श्री वहां बिखरे पड़े हैं। पूष्कर मुनिजी म० दावनगिरी पधारे तब आपने जो उसी धरती की निवासी हैं धर्मानुरागिनी सुश्रासेवा का अपूर्व लाभ लिया वह कभी भुलाया नहीं विका बक्सुबाई। जो स्व० श्रीमान लक्ष्मीचन्दजी जा सकता । दावनगिरी संघ की ओर से श्रवणबेल पारलेचा की धर्मपत्नी हैं और श्रीमान धर्मप्रेमी गोला में जो वर्षीतप के पारणे हुए वह दृश्य बहुत सुश्रावक परम गुरुभक्त हरकचन्दजी सा० पारलेचा ही अदभत था। श्वेताम्बर समाज का इतना विराट की मातेश्वरी हैं। कार्यक्रम व नी बार हुआ था। आपके सुपुत्र माता के पवित्र संस्कार श्रीमान हरकचन्दजी में का नाम मदनलालजी है जिनमें पिता के पवित्र मूर्त रूप लिए हुए हैं। आपकी गुरु भक्ति सराहनीय संस्कार और माताजी की धार्मिक भव्य भावना है। आपने प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में हार्दिक अनुदोनों एक साथ पल्लवित और पुष्पित हुए हैं। दान प्रदान किया है। एतदर्थ धन्यवाद ! आपके व्यावसायिक प्रतिष्ठान का नाम-माँगी आपका व्यापारलाल मदनलाल राँका, शाह आसूजी माँगीलाल, रूपम स्टोर्स क्लाथ मर्चेन्ट, बैंक रोड, गदग में हंसमुखलाल प्रदीप कुमार, १५ क्लाथ कमर्शियल शानदार चल रहा है। सेन्टर, साखर बाजार, अहमदाबाद है। प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में आपका हार्दिक अनु दान प्राप्त हुआ है। एतदर्थ धन्यवाद ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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