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________________ साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ आर्ष ग्रन्थों में व्यवहृत पारिभाषिक शब्दावलि और उसका अर्थ अभिप्राय -डा. आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' वैदिक, बौद्ध और जैन मान्यताओं पर आधारित संस्कृतियाँ भारतीय संस्कृति का संगठन करती हैं । भारतीय संस्कृति को जानने के लिए इन संस्कृतियों का जानना परम आवश्यक है । इन संस्कृतियों को जानने के लिए मुख्यतया दो स्रोत प्रचलित हैं--- (अ) व्यावहारिक पक्ष (ब) सिद्धान्त पक्ष काल और क्षेत्र के अनुसार व्यावहारिक पक्ष में प्रचुर परिवर्तन होते रहे किन्तु वाङमय में प्रयुक्त शब्दावलि में किसी प्रकार का परिवर्तन सम्भव नहीं हो सका । इस प्रकार के साहित्य को समझने-समझाने के लिए उसमें व्यवहृत शब्दावलि को बड़ी सावधानी से समझना चाहिए। जैन संस्कृति से सम्बन्धित अनेक पारिभाषिक शब्द ऐसे हैं जिनके अर्थ वैदिक और बौद्ध संस्कृतियों की अपेक्षा भिन्न हैं । शब्द का सम्यक् विश्लेषण कर हमें उसमें व्याप्त अर्थात्मा को भली-भाँति जानना और पहचानना चाहिए । ऐसी जानकारी प्राप्त करने के लिए शब्द-साधक को किसी भी पूर्व आग्रह का प्रश्रय नहीं लेना होगा । वह तटस्थभाव से तत्सम्बन्धी सांस्कृतिक शब्दावलि को जानने का प्रयास करता है 12 महात्मा भर्तृहरि का कथन है कि यथा सा सर्व विद्या शिल्पानां कलानां चोपबन्धिनी । तद् शब्दाभिनिप्पन्नं सर्व वस्तु विभज्यते ।. अर्थात् समस्त विद्या, शिल्प और कला शब्द की शक्ति से सम्बद्ध है । शब्द शक्ति से पूर्ण या सिद्ध समस्त वस्तुएँ विवेचित और विभक्त की जाती हैं । अभिव्यक्ति एक शक्ति है । अभिव्यक्ति के प्रमुख उपकरणों में भाषा का स्थान महनीय है । अभिव्यक्ति और अर्थ-व्यंजना में शब्द शक्ति की भूमिका महत्त्वपूर्ण है । शब्द के रूप और अर्थ में काल और क्षेत्र का प्रभाव पड़ा करता है । कालान्तर में उसके स्वरूप और अर्थ में परिवर्तन हुआ करते हैं । परिवर्तन की इस धारा में प्राचीन वाङ्मय में प्रयुक्त शब्दावलि का अपना अर्थ - अभिप्राय विशेष रूप ग्रहण कर लेता है । शब्द का यही विशेष अभिप्राय अथवा अर्थ वस्तुतः उसका पारिभाषिक अर्थ स्थिर करता है । आर्ष ग्रन्थों में व्यवहृत पारिभाषिक शब्दावलि और उसका अर्थ अभिप्राय : डॉ० आदित्य प्रचंडिया | १६१ www.jain
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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