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________________ पूना निवासी श्रीमान् धनराजजी बांठिया जैन समाज के विख्यात दानवीर सज्जन पुरुष हैं, जो मुख से बोलते बहुत कम हैं किन्तु मौका आते ही दान की वर्षा करने में सबसे आगे रहते हैं। आपका जन्म पूना जिले के औंध ग्राम में दिनांक २ मार्च १९२२ को हुआ। हाईस्कूल तक अध्ययन करने के बाद आपने टेलरिंग कोर्स किया और रेडीमेड कपड़े का व्यवसाय भी प्रारम्भ किया। प्रारम्भ में बीज रूप में अंकुरित व्यवसाय आज विशाल वृक्ष का रूप धारण कर चुका है। आपके कारखाने में सैकड़ों व्यक्ति कार्य करते हैं। रेडीमेड व्यवसाय तथा बिन्नी मिल आदि की एजेन्सी के रूप में आपका व्यापार दूर-दूर तक ख्याति प्राप्त है। __आपका स्वभाव बहुत ही मधुर व मिलनसार है। साथ ही आप सच्चरित्रनिष्ठ व्यक्ति हैं । जैन धर्म के प्रति गहरी निष्ठा है और अन्य सम्प्रदायों के प्रति मन में सहानुभूति है। अनेक सामाजिक, धार्मिक कार्यों के प्रति आपकी रुचि है और यथाशक्ति आप सहयोग भी देते रहते उदारहृदय, परमगुरुभक्त, दानवीर सेठ श्री धनराजजी बांठिया आपकी धर्मपत्नी धर्मानुरागिनी अखण्ड सौभाग्यवती श्रीमती झमकाबाई भी धर्मपरायण सुश्राविका हैं। पति की भाँति आप में भी धार्मिक भावना का साम्राज्य है, आप दोनों ही श्रावक जीवन के आदर्श रूप हैं। वर्तमान में आपके तीन सुपुत्र हैं-गुलाबचन्दजी, फूलचन्दजी और सुहासजी। यह तीनों विभूति की तरह हैं तथा तीनों भाइयों की धर्मपरायणा क्रमशः धर्मपत्नियाँ हैं-अखण्ड सौभाग्यवती श्रीमती राजश्री, अखण्ड सौभाग्यवती चंचलाबाई, अखण्ड सौभाग्यवती श्रीमती कान्ताबाई। गुलाबचन्दजी के एक पुत्र और एक पुत्री है-प्रशान्तकुमार, मनीषा। फूलचन्दजी की तीन पुत्रियाँ हैं-नूतनकुमारी, राखीकुमारी, स्वीटीकुमारी। सुहासजी के दो पुत्र हैं और एक पुत्री-रूपेशकुमार, प्रीतिशकुमार और रीनाकुमारी। आपश्री के ज्येष्ठ पुत्र खींवराजजी थे। जो बहुत ही विवेकी व धर्मनिष्ठ थे, उनका स्वर्गवास हो गया है। उनकी धर्मपत्नी धर्ममूर्ति श्रीमती कान्ताबाईजी बहुत ही समझदार सुश्राविका हैं। आपके एक पुत्र है हर्षकुमार । आपका सम्पूर्ण परिवार परम श्रद्धय उपाध्याय श्री पुष्करमुनिजी महाराज, उपाचार्य श्री देवेन्द्रमुनिजी महाराज आदि श्रमण वृन्द के प्रति अत्यन्त श्रद्धालु हैं। प्रस्तुत अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन में आपका स्मरणीय सहयोग प्राप्त हुआ है, धन्यवाद ! आपके प्रतिष्ठित व्यापारिक प्रतिष्ठान का नाम हैके० जी० बांठिया ब्रादर्स ८६/१, भवानी पेठ, पूना-४११ ००२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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