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________________ साध्वारत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ ........ ..................... श त - श त सु म न पाटम का नील वर्णी व्योम हर्षाया दिग्दगन्त मुस्कराया उपवन में बहार आई मेघों ने मल्हार गाई फूल खिले भंवरे गूंजे कोयल बोली मोर नाचे सूरज ने क्षितिज में रंगोली सजाई कह कहा लगाती हुई पुरवा पवन आई रजनीकर ने निशा में अमृत छलकाया जब ज्योति पुञ्ज एक उदयपुर में आया आज भी अपनी छटा से कण-कण में आलोक अनवरत भर रहा है स्वयं पुष्प बनकर वीर वाटिका में खिल रहा है। मेदपाट, मरुधर और मालव में अहिसा ध्वज लहराया महावीर का पावन संदेश गाँव नगर घर घर पहुंचाया अभिनंदन की बेला में त्याग तुम्हारा चर्चित है महासती पुष्पवतीजी तुमको मेरे भावों के शत-शत सुमन समर्पित है। AMANAN WAL महेन्द्र मुनि “कमल" शत-शत सुमन | ५७ NUTE internet
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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