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________________ हिन्दी-विभाग मेरी स्मृतिकुञ्ज में जगमोहनलाल शास्त्री, कटनी इस युग के महान् संत श्री ९०८ आचार्य शान्तिसागरजी के पुण्य जीवन की कुछ घडियां इस ध्यक्ति के जीवन के साथ भी सम्बन्ध रखती है। इस प्रकरण में उन्हीं घटनाओं के कुछ उल्लेख निम्न प्रकार है। __ सन १९२६ में आचार्य श्री ने परमपूज्य सम्मेदशिखर तीर्थराज की यात्रा की थी। यह यात्रा श्री संघपति घासीलाल पूनमचन्दजी मुंबईवालों द्वारा निकाले गए श्रावक संघ के साथ उनकी प्रार्थना पर आचार्य संघ ने की थी । हजारो श्रावकों के उस पैदल संघ के साथ संयमी मुनिराज ३ थे, ६ क्षुल्लक ऐलक थे । उस समय 'जातिप्रबोध' नामक पत्र में संघ के विरुद्ध आलोचनात्मक लेख निकले थे। उन्हें पढकर मुझे भी ऐसा लगा की मुनि संघ कि क्रियाएँ आगमानुकूल नहीं हैं। यात्रार्थ रेलमार्ग से मैं भी शिखरजी गया था कारण यह की संघपति महोदय की ओर से उस समय पंच-कल्याणक प्रतिष्ठा बडे समारोह से हो रही थी, लाखो जैन बन्धु वहां पहुंच रहे थे। उस आनन्द का लोभ संवरण मैं भी न कर सका। विशाल पंडाल था जिस में ५० हजार आदमी एक साथ बैठ सके। मुनि संघ के साधुगण बीच में स्थान स्थान पर खडे होकर उपदेश देते थे। लाउड स्पीकरों का उस समय प्रचलन नहीं था। लाखो व्यक्ति लाभ उठा रहे थे। पर इस नगण्य के मानस पटल पर “ जातिप्रबोधक" की पंक्तियाँ नाच रही थीं। एक सप्ताह से अधिक समय तक वहां रहने पर भी मैं अपने विपरीत परिणाम के फलस्वरूप न तो संघ की वन्दना कर सका और न उपदेश का लाभ ले सका । उस पंडाल के आसपास तमाशबीन हो कर समवशरण के आसपास फिरने वाले ३६३ कुवादी मिथ्या दृष्टियों की तरह चक्कर लगाता रहा। घर लौटने पर कुछ महिनों बाद समाचार मिला कि मुनिसंघ व श्रावक संघ इलाहाबाद आ चुका है। चातुर्मास के लिए समय थोडा शेष था । इलाहाबाद में कानपुर-लखनउ-आगरा-देहली-बनारस से जैन समाज के प्रमुख सज्जन उस समय महाराज श्री से अपने२ नगरों में चातुर्मास करने की प्रार्थना कर रहे थे। कटनी के स्व. श्री हुकमचंदजी भी दैववशात् वहां किसी अन्य कार्य से पहुंच गए थे। सबको ९३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012022
Book TitleAcharya Shantisagar Janma Shatabdi Mahotsav Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
PublisherJinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
Publication Year
Total Pages566
LanguageHindi, English, Marathi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size14 MB
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