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________________ :५६५: उदार सहयोगियों की सची || श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ श्रीमान रतनलाल जी चतर, व्यावर श्रीमान रतनलाल जी चतर ब्यावर के एक प्रतिष्ठित व्यवसायी हैं। आपमें धार्मिक भावना के साथ समाज सेवा की भावना भी प्रबल है। आप बड़े ही सरलमना देवगुरुभक्त मिलनसार व्यक्ति हैं। आपके पिताजी श्री विजयलाल जी चतर एवं माताजी श्रीमती नजरबाई थे। वि० सं० १९८८ पोषसुदि ७ पडांगा (अजमेर) में आपका जन्म हुआ। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती उमराव कंवर बाई आपकी भाँति ही सेवापरायण धर्मशीला महिला हैं। आपके पुत्र हैं-श्री पारसमल जी तथा राजेन्द्र कुमार जी। तीन पुत्रियां हैं-श्रीमती सज्जन कंवर, उषा तथा ममता । ब्यावर तथा जयपुर में आपके व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं। स्व. श्री जैन दिवाकर जी महाराज के प्रति आपकी बड़ी श्रद्धा रही है। सेठ श्री देवराज जी सुराना, ब्यावर आप ब्यावर के एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे। आपका पूरा परिवार बड़ा ही संस्कारी व धर्मप्रेमी है। स्व. श्री जैन दिवाकर जी महाराज के प्रति आपकी अनन्य भक्ति थी। श्रीमान सरदारमल जी संचेती, जोधपुर जोधपुर का संचेती परिवार श्री जैन दिवाकर जी महाराज के प्रति सदा से ही भक्ति भाव तथा अनन्य श्रद्धा रखता है । कहावत है-जैसे-जैसे जल बरसता है, वनराजि फलती-फूलती है, इसी प्रकार जैसे धर्म-भावना बढ़ती है, मनुष्य की ऋद्धि-समृद्धि फलती-फूलती रहती है। संचेती परिवार के सम्बन्ध में यह उक्ति चरितार्थ होती है। श्रीयुत सरदारमल जी संचेती, संचेती परिवार के रत्न हैं । जोधपुर में आपका वस्त्र व्यवसाय है। अपनी कार्यकुशलता तथा प्रामाणिकता के कारण आपने व्यवसाय में उन्नति की तथा समाज में भी प्रतिष्ठा प्राप्त की। आप समय-समय पर सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में सहयोग करते रहते हैं। सेठ श्री अभयराज जी नाहर, ब्यावर अटूट गुरुभक्ति और सच्चे कर्मयोगी का स्वरूप समझना हो तो श्री अभयराज जी नाहर का जीवन देखना चाहिए। आप जेठाना निवासी श्रीमान कनकमल जी नाहर एवं श्रीमती गौरीबाई के सुपुत्र हैं । १६ वर्ष की आयु में ब्यावर आने पर आपने स्व० गुरुदेव श्री जैन दिवाकर जी महाराज के दर्शन किये। दर्शन मात्र से ही हृदय में धार्मिक संस्कार जाग उठे। सामायिक सीखी और गुरुदेव की सेवा व धर्म-साधना के क्षेत्र में बढ़े। व्यापार से भी अधिक आपको साधु-सन्तों की सेवा व सामाजिक कार्यों में रुचि रही । आप बड़े ही सरल, निष्ठावान, प्रामाणिक और सतत कार्यशील वृत्ति के हैं । अनेक वर्षों से श्री जैन दिवाकर दिव्य ज्योति कार्यालय का भार संभाल रखा है । उसमें काफी प्रगति भी हुई है। श्री जैन दिवाकर लाइब्रेरी, उपाध्याय श्री प्यारचन्द जी आयम्बिल खाता एवं छात्रावास के आप संचालक हैं। श्री मगन मुनि ज्ञान-प्रचार समिति व सामि सहायता फण्ड के द्वारा आप समाज के भाई-बहनों की सेवा करते रहते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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