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________________ श्री जैन दिवाकर स्मृति-ग्रन्थ ॥ उदार सहयोगियों की सूची : ५८२ : स्व० सेठ स्वरूपचन्द जी तालेरा, ब्यावर ब्यावर के प्रमुख एवं सुप्रसिद्ध श्रीमान् सेठ स्वरूपचन्दजी तालेरा से जिसने एक बार भी भेंट की, वह अपने जीवन में उन्हें कभी नहीं भूल सकता, यह उनके स्वागत-सत्कार व वात्सल्य भावना की अपनी नीजि विशेषता थी। आपका जन्म सं० १९४८ में भंवरी (मारवाड़) में हुआ, अपने पिता श्री कुनणमलजी तालेरा की छत्रछाया में बाल्यकाल सुख पूर्वक व्यतीत कर आप सं० १६५६ में ब्यावर पधारे एवं यहीं विद्याध्ययन प्रारम्भ किया । शिक्षा की ओर विशेष रुचि न होने के कारण आपने कुछ वर्ष बाद ही नौकरी कर ली और व्यापारिक क्षेत्र की विशेष जानकारी करने में दिलचस्पी रखी । सन् १९१५ में आपने ऊन का व्यापार शुरू किया, भाग्य ने आपका साथ दिया, लक्ष्मी ने आपको वरद हाथों से वरा और इस प्रकार आपने आशातीत सफलता प्राप्त की। बम्बई में आपने बड़े पैमाने पर ऊन का कारोबार बढ़ाया और भारत ही नहीं, विलायतों में भी अपनी प्रामाणिकता एवं कार्य-कुशलता की छाप जमाई । इस प्रकार लाखों की सम्पत्ति का उपार्जन कर आप पूर्ण वैभवशाली बने । स्व. जैन दिवाकर गुरुदेव चौथमलजी महाराज साहब के आप परम भक्त हैं, गुरुदेव के प्रति आपकी प्रगाढ़ श्रद्धा एवं अटूट स्नेह था । धर्म गुरु के प्रति अपनी सच्ची श्रद्धा का परिचय, आपने धार्मिक व सामाजिक क्षेत्र में विशाल हृदय से लक्ष्मी का सदुपयोग कर संस्थाओं को ऊँचा उठाने एवं धार्मिक प्रचार करने में पूर्ण सहयोग दिया जो कि सदैव चिरस्मरणीय रहेगा। (शेष पृष्ठ ५८३ पर) __ लक्ष्मीचन्द जी तालेरा आप स्व० सेठ श्री स्वरूपचन्दजी तालेरा के द्वितीय सुपुत्र हैं। पिता की तरह आप भी बड़े उदार, मिलनसार तथा सामाजिक एवं राष्ट्रीय सेवा कार्यों में विशेष उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं। आपका जन्म १६ मार्च, १९३७ को ब्यावर में हुआ। शिक्षा प्राप्त कर आपने अपना पैतृक व्यवसाय तो संभाला ही, साथ ही नये उद्योगों का भी प्रारम्म किया। कुन्दनमल स्वरूपचन्द, ब्यावर ओसवाल केबल्स प्रा. लि., जयपुर ओसवाल इण्डस्ट्रीज, जयपुर ये आपके व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं । आप वर्तमान में अनेक समाज-सेवी संस्थाओं के अधिकारी हैं-अध्यक्ष१. जैन दिवाकर दिव्य ज्योति कार्यालय, ब्यावर २. उपाध्याय प्यारचन्द जैन छात्रालय, ब्यावर ३. आयंबिल खाता, ब्यावर ४. श्री जैन दिवाकर फाउण्डेशन, ब्यावर ५. श्री मगनजैन सहायता समिति, ब्यावर उपाध्यक्ष-अखिल भारतीय जैन दिवाकर संगठन समिति श्री जैन दिवाकर क्लिनिक, ब्यावर ट्रस्ट्री-श्री जैन चतुर्थ वृद्धाश्रम, चित्तौड़ कोषाध्यक्ष-राजस्थान कंडक्टर मैन्युफेक्चरिंग ऐसोसियेशन, जयपुर आपकी कार्यदक्षता व उत्साह से समाज को सदा लाभ मिलता रहेगा। आपने स्मृतिग्रन्थ प्रकाशन में अच्छी सहायता प्रदान की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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