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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org परमश्रद्धेय विद्वद्वर श्रीराजमलजी महाराज की शिष्य परम्परा श्री रतनचन्दजी महाराज ( आपके प्रमुख शिष्य ) गुरु श्री जवाहरलालजी महाराज कविवर श्री हीरालालजी म० श्री चैनरामजी म० वादीमानमर्दक श्री नन्दलालजी म० श्री लक्ष्मीचन्दजी म० श्री माणकचन्दजी म० | पं० श्रीदेवीलालजी म० श्री साकर त० बड़े हजारी- श्री गुलाब- श्री मूलचन्द श्री रायचन्द- पू० श्री खूब - श्री नरसिंह श्री मन्नाचन्दजी म० मलजी म० मेवाड़ भूषण चन्दजी म० जो म० जी म० चन्दजी म० दासजी म० लालजी म० श्री प्रतापमलजी म० पू० श्री सहसमल जैन दिवाकर श्री चौथमल छोटे हजारी- श्री शोभा तपस्वी श्रीमया- श्री भगवान श्री भोप त० छोटेलाल श्री नाथूलाल श्री लक्ष्मीचन्द जी म० जी म० (आपके ३२ शिष्य) मलजी म० लालजी म० चन्दजी म० जो म० जी म० जी म० जी म० जी म० तपस्वी श्री छोटे चम्पालालजी म० तपस्वी श्री छबलालजी म० प्रवर्तक श्री हीरालालजी म० | तपस्वी श्री दीपचन्दजी म० नवीन मुनिजी म. सेवाभावी श्री बड़े नाथूलालजी म० श्री मिश्रीलालजी म० मधुर व्याख्यानी तपस्वी श्रीचन्दनमुनिजी म० श्रीवृद्धिचन्दजी म० मालवरत्न उपाध्याय श्री कस्तूरचन्दजी म० बालकवि श्री सुभाषमुनिजी म० श्री हजारी- श्री हरकचन्द मलजी म० जी म० सलाहकार श्री श्री सुखलाल श्री राजमल केसरीमलजी म० जी म० तपस्वी श्री लाभचन्दजी म० भजनान्दी श्री नानकरामजी म० श्री अरुण मुनिजी म. जी म० श्री शोभालाल जी म० श्री सुरेशमुनिजी म. श्री नगराजी म० कवि श्री रंगपं० 'ईश्वर लालजी म० मुनिजी म०
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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