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________________ शुभकामना ( १८ ) KASTURBHAI LALBHAI Tele 1 Phone : 66023 & 22377 (Gram "LALBHAI" Pankore's Naka, Ahmedabad 31-5-78 आपका ता० २६-५-७८ का पत्र और उसके साथ भेजी हुई श्री चौथमलजी महाराज की जीवन परिचय पत्रिका मिली। अखिल भारतीय श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन समाज प्रसिद्ध सन्त जैन दिवाकर श्री चौथमलजी महाराज का जन्म शताब्दी वर्ष मना रहे हैं और इसके उपलक्ष में एक 'स्मृति-ग्रन्थ का प्रकाशन कर रहे हैं वह जानकर प्रसन्नता हुई। __इस 'स्मृति-ग्रन्थ' द्वारा आप लोग श्री जैन दिवाकर श्री चौथमल जी महाराज के उपदेश को समाज में प्रचार करने में सफल हों, ऐसी मैं शुभकामनाएँ प्रदान करता हूँ। लि० कस्तुरभाइ लालभाइके प्रणाम जवाहरलाल मूणोत बम्बई २ जून, १९७८ (ज्येष्ठ १२, १६०० शक) प्रकट है कि श्री जैन दिवाकर स्मृति-ग्रन्थ एक उत्कृष्ट संरचना सिद्ध होगी, क्योंकि उसे श्री दिवाकरजी के अन्तेवासियों के परामर्श और मार्गदर्शन का लाभ मिलने जा रहा है, प्रधान सम्पादक के रूप में स्वयं श्री कविरत्न श्रमणवर श्री केवलमुनिजी हैं और साथ ही, उद्भट विद्वानों का सहयोगी सम्पादक मण्डल है । और सबसे बढ़कर, समग्र सार्थकता और सफलता की गैरण्टी स्वयं प्रथितयश दिवाकरजी महाराज साहब की रोमांचकारी प्रेरणादायी जीवनी है, जो अपने आप में एक धार्मिक महाकाव्य है, जिसका पारायण धर्म-साधना और धर्माराधना के दिव्य फल दे देता है। स्मृति-ग्रन्थ के सजीव, सुन्दर, सफल और चिरस्थायी यश की मेरी अग्रिम शुभकामनाएँ स्वीकार करें। आपका जवाहरलाल मुणोत अध्यक्ष : अ. भा. श्वे. स्था. जैन कान्फ्रेंस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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