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________________ ( १५ ) राज्य वित्त मंत्री भारत नई दिल्ली दिनांक : ३१ मई १९७८ प्रिय श्री सुराना जी, आपके २२ मई के पत्र से यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि अखिल भारतीय श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन समाज श्री चौथमलजी महाराज का जन्म शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है । किसी भी देश में ऐसे सन्त महात्मा कभी-कभी ही जन्म लेते हैं जिनका जीवन यथार्थ रूप में सम्पूर्ण मानव समाज को और दरिद्र नारायण को समर्पित हो । बचपन में श्री चौथमलजी महाराज के बारे जो कुछ जाना और सुना था, उस स्मृति के आधार पर मैं यह अभी भी कह सकता हूँ कि वे ऐसे बिरले सन्त महात्माओं में से थे । यह श्री चौथमलजी महाराज की विशेषता थी कि वे घोर अभाव में रहने वाले गरीब से गरीब आदमी के मन में भी विशिष्ट प्रकार की जिजीविषा जाग्रत कर देते थे। उसके अभावों में मानसिक सन्तोष का अमृत टपका कर उसके जीवन के शून्य पात्र में कर्तव्य और लगन का मधु भर देते थे । आज के इस संघर्षमय जीवन और प्रतिगामी प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में देखें तो हमें इस बात की आवश्यकता महसूस होती है कि हम महान् सन्त महात्माओं की जन्मतिथि अथवा जन्म-शताब्दी मनाकर ही न रह जायें, वरन् गाँव-गाँव और नगर-नगर में ऐसे सदाचार- संघों की स्थापना करें, जो प्रत्येक मानव के जीवन को जीने योग्य बना सकें । Jain Education International आपके इस सद्प्रयास की सफलता की कामना तो मैं करता ही हूँ, परन्तु साथ ही जानना चाहता हूँ कि आपका समाज स्थायी रूप से इस दिशा में क्या-क्या कार्यक्रम बना रहा है । आपका सतीश अग्रवाल For Private & Personal Use Only संदेश www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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