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________________ श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य : १७० : ॥ श्री॥ + + + । मोहर छाप । स्वारूप श्री ठाकुरा राजश्री सरदारसिंहजी साहब कुंवर साहेब सराणा (मारवाड़) श्री जोरावरसिंहजी वचनायत जैन स्वामी श्री १०५ श्री चौथमलजी +++mmun...++ महाराज का आगमन काणाणा में संवत् १९६७ फागण वदि १० को यहाँ पधारना हुआ। व्याख्यान व धर्मोपदेश सुना जिससे खुश होकर नीचे मुजब प्रतिज्ञा की है। १. श्रावण मास में किसी जानवर की शिकार नहीं करूंगा और मेरे पट्टे के गांव में इस माह में कोई शिकार नहीं कर सकेगा। २. भाद्रव वदि ८ शुक्ला १३-१४-१५ अगता पाला जावेगा। ३. काती विदि ३० पौष विदि १० की श्री पार्श्वनाथ भगवान का जन्म दिवस होने से हमारे पट्टे के गांवों में कोई जीव हिंसा नहीं होगी। ४. चैत्र सुदि १३ को श्री महावीर भगवान् का जन्म दिवस होने से हमारे पट्टे के गांवों में जीव हिंसा नहीं होगी। ५. श्री पूज्य स्वामी श्री चौथमलजी महाराज का पट्टे के गांवों में आगमन और विहार के दिनों अगते पाले जावेंगे। उपरोक्त प्रतिज्ञा सदैव के लिए पाली जायगी। सं० १९६७ रा फागुण विदि १० ता. २१।२।४१ ( सही ) सरदारसिंह ॥श्री॥ श्री मुकन्दजी सहाय छ रजिस्टर नं. ४५॥३६-४० +HHHHHHHH+ । मोहर छाप स्वारूप श्रीमान् राव बहादुर करनल ठाकुर साहेब राज १०८ रोहीट (मारवाड़): : श्री दलपतसिंहजी साहेब कंवरजी श्री १०५ श्री विक्रमसिंहजी साहेब +++++++++++++++ * वचनातु जैन स्वामीजी श्री चौथमलजी महाराजरो आगमन तारीख वचनातु जन स्वामीजी १-७-४० ने रोहाट खास में हुवो और इणरो धर्म उपदेशरो व्याख्यान सब सरदारों ने सणायो जिस सं सब सरदारों ने व पब्लिक ने बड़ी भारी खुशी हुई जिण पर श्रीमान् राव बहादुर साहेब ने हस्बजेल अगता अपना ठिकाना में नियुक्त करणरो फरमायो है । (१) जैन पजूसण बैठता दिन और छमछरी दिन।। (२) पौष विदि १० ने। (३) चैत्र सुदि १३ ने । (४) पूज्य महाराज श्री चौथमलजी रण गाँव में आगमन व विहार कराव उन दोनों दिन अगता पलावेंगे। ऊपर मुजब दिनेंरा अगता पट्टा भट्टा भर में पालिया जावसी और शिकार वगैरा भी ऊपर मजब अगता में करावसी नहीं। सं० १६६६ रा आषाढ़ विदि १२ मंगलवार ता० २-६-४० द० शिवप्रसाद श्री रावला हुक्मसुं लिखियो छे भागीरथजी ओज्झा, कामदार ठिकाना रोहट, (मारवाड़) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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