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________________ डॉ. पं० कोठिया सन् १९८१ में श्रमणबेलगोलामें हुए महामस्तकाभिषेक-महोत्सवपर वहाँ दो माह रहे और एलाचार्य पूज्य मुनि विद्यानन्द महाराजके निर्देशसे वहाँ आगत समस्त मुनि संघोंके लगभग १५० मुनिमहाराजों, आर्यिकाओं, क्षुल्लकों और अन्य श्रावकोत्त मोंको स्वाध्याय करानेका उन्हें सुअवसर मिला। उसी समय जोर-शोरसे चर्चा उठी थो कि ऐसे उद्भट और धर्मपरायण विद्वान्को अभिनन्दन-ग्रन्थ भेंट कर सम्मानित किया जाय । चर्चा धीरे-धीरे बढ़ती गयी। उसीका यह फलद्रप है कि आज 'न्यायाचार्य डॉ० पं० दरबारीलाल कोठिया अभिनन्दन-ग्रन्थ-प्रकाशनसमिति' गठित होकर वह उन्हें अभिनन्दन-ग्रंथ समर्पण करनेकी स्थिति में हई। हमने जिन्हें-जिन्हें पत्र लिखे उन्होंने अपनी सहर्ष स्वीकृति भेजी। समितिके सदस्यों, परामर्शदात्रीमण्डल और सम्पादकमण्डलके हम हृदयसे आभारी हैं। उनकी सहज कृपा और सद्भावसे ही यह कार्य सम्पन्न हो सका। हम समस्त समाज तथा मुनिगण, त्यागीगण और विद्वदगणके अत्यन्त कृतज्ञ हैं। अभिनन्दन-ग्रन्थके प्रकाशनमें जिन महानुभावोंने आर्थिक सहयोग दिया है उनके प्रति भी हम कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं । राय देवेन्द्रप्रसाद जैन बाबूलाल जैन फागुल्ल अध्यक्ष मंत्री न्यायाचार्य डॉ० पं० दरबारीलाल कोठिया अभिनन्दन-ग्रन्थ-प्रकाशन-समिति, वाराणसी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012020
Book TitleDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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