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________________ जनसमूह प्रतिवर्ष बड़े आदर के साथ इस निर्वाण पर्वको प्रसिद्ध 'दीपावली' के नामसे इस भारतवर्ष में मनाने लगा | उनका वह उल्लेख इस प्रकार है वही, ६६।२१ । 'इसके बाद तो समस्त भारतवर्ष में लोग प्रतिवर्ष बड़े आदर के साथ वीर जिनेन्द्रके निर्वाणोत्सवको अपनी अनन्यभक्ति एवं श्रद्धाको 'दीपावली' के रूप में प्रकट करने लगे और तभी से यह 'दीपावली' पर्व प्रचलित हुआ ।' ततस्तु लोकः प्रतिवर्षमादरात्प्रसिद्धदीपावलिकयात्र भारते । समुद्यतः पूजयितुं जिनेश्वरं जिनेन्द्रनिर्वाणविभूतिभक्तिभाक् ॥ इस तरह भारतवर्ष में दीपावली पर्वको मान्यता भगवान् महावीरके निर्वाण-पर्वसे सम्बन्ध रखती है। और यह एक सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय पर्व स्पष्ट अवगत होता है । मेरे अनुसन्धान से इससे पूर्वका इतना और ऐसा उल्लेख अबतक नहीं मिला । यतः भगवान्‌का निर्वाण कार्तिक वदी १४की रात और अमावस्या के प्रातः हुआ था, अतः उसके आसपास के कुछ दिनोंको भी इस पर्व में और शामिल कर लिया गया, ताकि पर्वको विशेष समारोह और आयोजनके साथ मनाया जा सके। इसीसे दीपावली पर्व कार्तिक वदी तेरससे आरम्भ होकर कार्तिक शुक्ला दूज तक मनाया जाता है । इन दिनों घरोंकी दीवारों और द्वारोंपर जो चित्र बनाये जाते हैं वे भ० महावीरके सभास्थल - समोशरण ( समवसरण ) की प्रतिकृति हैं, ऐसा ज्ञात होता है । गणेशसंस्थापन और लक्ष्मीपूजन भ० महावीरके प्रधान गणधर गौतम इन्द्रभूतिको, जिन्हें जैनवाङ्मय में 'गणेश' भी कहा है, उनका उत्तराधिकारी बनने तथा केवलज्ञानलक्ष्मीकी प्राप्ति करनेके मूर्तरूप प्रतीत होते हैं । इन जैसी और भी कितनी ही बातें इन दिनोंमें सामान्य जनता द्वारा की जाती हैं। उनका भी सम्बन्ध भ० महावीरसे स्पष्ट मालूम होता है। इन तथ्योंकी प्रचलित मान्यताओं और निर्वाणकालिक घटित घटनाओं के सामञ्जस्यके आधारपर खोज की जाय तो पूरा सत्य सामने आ सकता है और तथ्योंका उद्घाटन हो सकता है । फिर भी उपलब्ध प्रमाणों और घटनाओंपरसे यह निःसंकोच और असन्दिग्धरूपमें कहा जा सकता है कि वीर - निर्वाण पर्व और दीपावली पर्वका घनिष्ठ सम्बन्ध है अथवा वे एक दूसरेके रूपान्तर हैं । ६० Jain Education International - ४७३ 1 - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012020
Book TitleDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherDarbarilal Kothiya Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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