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________________ योगनिष्ठ प्राचार्य बुद्धिसागरसूरिजी रचित गुंहली (१) श्री अभयदेवसूरि नी गुंहली जेना मन नहीं म्हारु त्हारु, साचु ते मान्यु मन सारु आतम संयम मा मन धायु'""आतम०-१ राग- भवि तमे वंदो रे नदी कांठे जंगल मां वसिया, शुद्धातम नां थइया रसिया, भविजन भावे रे, अभयदेवसूरि वंदो, जे ध्यान समाधि उल्लसिया...आतम०-२ आगमज्ञानी रे, मुनि वाचक सूरि इंदो, सिद्धियो प्रगटी रही स्हामी, पणसिद्धिना नहीं जे कामी; नव अंगो नी वृत्ति करी ने, जग आगम प्रसराव्यां; निशदिन रहेंता आतम रामी...आतम०-३ जेनी टीकाभो वांची ने, मुनिगण मन हरखायां, भवि-१ पहाड़ो गुफा मां बहु रहीया, शुद्धातम दर्शन जे लहीया, चैत्यवासी श्री द्रोणाचार्य, शोधी टीकाओ भावे : अध्यात्म मार्ग विषे वहिया .. आतमः -४ महावी. पाटे मोटा भक्तो, भक्ति रागना दावे, भवि०-२ वाचकजी ए स्तवना कीधी, पाम्या संगत समता सिद्धिः वर्तमान मां अभयदेवसूरि, टीकानी शुभ स्हाय, चौवीस पद आतम ऋद्धी. ''आतम०-५ बुद्धिसागर सकल संघने, उपकारी सूरिराय, भवि० -३ अवधूत अलख मुनि अवतारी, फकीराई जेनी सुखक्यारी; (२) श्रीजिनदत्तसूरिजी नी गुंहली बुद्धिसागर गुरु जयकारी आतम०.६ राग-- अली सहेली ए (४) श्रीमद् देवचन्द्रजी नी गंहली जिनदत्तसूरि, जैनधर्म वृद्धि करनारा थइ गया शासन शोभा, कारक जैनो नवा करी शोभा लह्या; राग- व्हाला गुरुराज उपदेश आपे। जिनदत्तसूरि जगमा दादा, केहवाया गण गणधि सादा गुरुदेवचन्द्र जी पद बंदो, भवोभवना पाप निकंदो, गुरु० धन्य धन्य पिताजी ने माता...जिनदत्त-१ रच्या ग्रन्थ घणा गुणकारी, नयचक्र आगमसार भारी: जगमां जिन शासन उजवाल्यू, धर्मी जीवन सधलं गाल्यु, बीजा ग्रन्थ घणा सुखकारी- गुरु० १ घटमां परमातम पद भाल्यू.. जिनदत्त-२ जेह अध्यातम उपयोगो, जेह आतम गुण गण भोगी खरतर गच्छे बहु पकाया, दादा भारत सघले छाया, तत्त्वज्ञानी सहज गुण योगी-गु० २ बुद्धिसागर गुणी गुण गाया.. जिनदत्त-३ निज शुद्धातम दिल प्यारो, मोह भाव ने मान्यो न्यारो, (३) श्रीमदू आनंदघनजी नी गुंहली जेना घट मां ज्ञान अपारो- गु० ३ जैन शासन नी करी सेवा, पाम्या आतम सुखना मेवा ; राग-अली साहेली जंगम तीरथ जावा उभी रहेने, प्रभु भक्ति नी साची हेवा- गु० ४ आतमज्ञानी आनंदधन जोगी, वंदो नरनारी, जैन कौम मा जेह प्रसिद्ध, जेना ग्रन्थ दिये सुख ऋद्धि, प्रख्यात थया बहु दर्शन मां, खाखी अतिशयधारी, बुद्धिसागर ल्हावो लीध-गु० ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012019
Book TitleManidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherManidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Samaroh Samiti New Delhi
Publication Year1971
Total Pages300
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size11 MB
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