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________________ २ (४) त्रिशला द्वारा पुत्र जन्म ( ७३६/९३) (५) देवों द्वारा उत्सव ( ७३७ ९४ ) (६) उनके द्वारा अमूल्य वस्तुओं की वर्षा एवं तीर्थंकर का अभिषेक (७३८, ७३९/९५,९६) (७) दशाह मनाना, भोजन समारंभ, दान एवं कुल में वृद्धि होने के कारण वर्धमान नामकरण (७४० | १००-१०३) (८) उनका काश्यपगोत्र एवं तीन नाम, पिता के तीन नाम, माता के तीन नाम, चाचा, भाई, बहिन, पत्नी, पुत्री एवं पौत्री के नामों का उल्लेख (७४३, ७४४११०४-१०९) (९) तीस वर्ष का गृहस्थवास, माता-पिता के देवलोक जाने पर अपनी प्रतिज्ञा पूरी होने पर सभी वस्तुओं का त्यागकर एवं दाताओं में विभाजित कर प्रव्रज्या लेना (७४६, ७६६।११०, १११, ११३, ११४) (१०) मार्गशीर्ष कृष्ण १० को दीक्षा ली (७६६।१११, ११४) (११) सभी उपसर्गों को सहन किया (७७१।११६) (१२) संयम, तप, ब्रह्मचर्यं समिति एवं गुप्ति पूर्वक निर्वाणमार्ग में भावना करते हुए विहार करना (७७० | १२०) के. आर. चन्द्र (१३) तेरहवें वर्ष में वैशाख शुक्ल दसमी को ऋजुबालिका नदी के किनारे श्यामाक के खेत जृम्भिकग्राम के बाहर शालवृक्ष के नीचे केवलज्ञान की प्राप्ति (७७२/ १२० ) (१४) सर्व भावों के ज्ञाता बनकर विहार करने लगे (७७३|१२१) (१५) निर्वाण प्राप्त होने पर देवताओं द्वारा महिमा) के आगमन से कोलाहल (७७४/१२५) कल्पसूत्र में प्रकारान्तर से मिलने वाली सामग्री (१६) जब से भगवान् महावीर गर्भ में आये तब से उस कुल की अमूल्य वस्तुओं के कारण वृद्धि होने लगी ( ७४०/८५) [ कल्पसूत्र में यह बात मात्र अर्वाचीन हस्तप्रतों में ही मिलती है ] (१७) परिपक्व ज्ञान वाले होने की बात (७४२) कल्पसूत्र ( ९,५४,७६) में स्वप्न के फल बतलाते समय कही गयी है । १. (ख) शब्दों के क्रम में भेद तादृश सामग्री मिलते हुए भी दोनों के पाठों में कभी-कभी शब्दों के क्रम में अन्तर है । [मूल पाठ कल्पसूत्र का है जब कि आचारांग का पाठ संख्या-क्रम से बताया गया है ।] अणते निव्वाघाए अव्वाघाते (१) क० सू० १ निरावरणे ४ आचा० ७३३ Jain Education International ५ कसिणे १ समुन्ने ८ अणुत्तरे ६ डिने २ साइणा ९ ३ केवलवरनाणदंसणे ७ परिनिव्वुए ११ For Private & Personal Use Only भगवं १० www.jainelibrary.org
SR No.012017
Book TitleAspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Sagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1991
Total Pages572
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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