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________________ १४४. १५३२ Jain Education International । १४५. १५३२ १४६. १५३३ १४७. १४३५ For Private & Personal Use Only डॉ० शिव प्रसाद १४४. वैशाख सुदि ३ अमररत्नसूरि पार्श्वनाथ की प्रतिमा सुमतिनाथ जिनालय, विनयसागर, पूर्वोक्त, का लेख नागौर लेखाङ्क ७४५ एवं काहर, पूरनचन्द, पूर्वोक्त, भाग-२ लेखाङ्क १३२३ वैशाख .. ...। अमररत्नसूरि श्रेयांसनाथ की पंच- धर्मनादेरासर, डझोई बुद्धिसागर, पूर्वोक्त तीर्थी प्रतिमा का लेख भाग १, लेखाङ्क५५ माघ सुदि ५ देवरत्नसूरि संभवनाथ की प्रतिमा पार्श्वनाथ जिनालय, बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, रविवार का लेख खंभात भाग-२, लेखाङ्क ३०८ माघ सुदि ५ आनन्दप्रभसूरि बासुपूज्यस्वामी की जैन देरासर, वही, भाग १, शुक्रवार प्रतिमा का लेख गेरीता लेखाङ्क ६७१ वैशाख सुदि ६ अमररत्नसूरि वासुपूज्यस्वामी की जैन मंदिर, वही, भाग-१ सोमवार प्रतिमा का लेख चाणस्मा लेखाङ्क ११४ आषाढ़ सुदि २ अमररत्नसूरि कुंथुनाथ की प्रतिमा जैनमंदिर वही, भाग-१, मंगलवार का लेख गेरीता लेखाङ्क ६६६ वैशाख सुदि ३ अमररत्नसूरि विमलनाथ की प्रतिमा जैन मंदिर,पाडीव नाहर, पूरनचन्द, गुरुवार का लेख सिरोही-राजस्थान पूर्वोक्त, भाग-२ लेखाङ्क २०९१ पौष बदि गुरुवार सिंहदत्तसूरि नमिनाथ की धातु बड़ा मंदिर, सीहोर नाहर, पूरनचन्द, प्रतिमा का लेख पूर्वोक्त, भाग २, लेखाङ्क १७३७, एवं विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त लेखाङ्क ४६७ १५३५ १४९. १५३५ १५०. १५३६ १५१. १५३६ www.jainelibrary.org
SR No.012017
Book TitleAspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Sagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1991
Total Pages572
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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