SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दशरूपक और नाट्यदर्पण में रस-स्वरूप एवं निष्पत्ति : एक तुलनात्मक विवेचन १४३ १६. रस-सिद्धान्त : इतिहास और मूल्यांकन : सम्पादक डॉ. रामगोपाल शर्मा और प्रतापचन्द्र जैसवाल, समीक्षा लोक कार्यालय, आगरा १९७८ । १७. इस-विमर्श : डा. राममति त्रिपाठी, विद्यामन्दिर. वाराणसी. प्रथम संस्करण १९६५ । १८. रसगं.-रसगंगाधर-पण्डितराज जगन्नाथ, बदरीनाथ झा और मदन मोहन झा, प्रथम आनन, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, द्वितीय संस्करण १९६४ । १९. लो०-लोचन, ध्वन्यालोक पर अभिनवगुप्त की टीका (ध्वन्यालोक से उद्धृत) . संस्कृत-नाट्य-सिद्धान्त : डॉ. रमाकान्त त्रिपाठी, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, प्रथम संस्करण २१. साधारणीकरण एक शास्त्रीय अध्ययन : डा० रामलखन शुक्ल; साहित्य सदन, देहरादून, प्रथम संस्करण १९६७। २२. सा० द०-साहित्य दर्पण : विश्वनाथ; शालग्राम शास्त्री, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, सप्तम संस्कररण १९७३ । २३. साधारणीकरण और तादात्म्य : रामचन्द्र पुरी, पुस्तक प्रचार, गान्धीनगर, दिल्ली, प्रथम संस्करण १९८३ । २३. हि. ना० द०-हिन्दी नाट्यदर्पण : रामचन्द्र-गुणचन्द्र, आचार्य विश्वेश्वर, हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली, प्रथम संस्करण १९६१ ।। २५. हिस्ट्री आफ संस्कृत पोयटिक्स : पी० वी० काणे, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, थर्ड एडिशन १९६१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012015
Book TitleAspect of Jainology Part 1 Lala Harjas Rai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1987
Total Pages170
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy