SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डॉ० सागरमल जैन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ६७ शिक्षक व समाज की भूमिका ३०. धर्म क्या है ? (क्रमश: तीन अंको में) श्रमण/वर्ष ३१, अंक ४, फरवरी १९८०, फरवरी १९८३ श्रमण/वर्ष ३४ श्रमण/वर्ष ३१, अंक ५ मार्च १९८० श्रमण/वर्ष ३१, अंक ५ मार्च १९८० श्रमण/वर्ष ३१, अंक ५ अप्रैल १९८० श्रमण/वर्ष ३१, अंक ९ सम्बोधि/वाल्यूम ८, जुलाई १९८० श्रमण/वर्ष ३१, अंक ९ जुलाई १९८० श्रमण/वर्ष ३२, अंक ३ श्रमण/वर्ष ३२, अकं ४ श्रमण/वर्ष ३२, अंक ६ जुलाई १९८० फरवरी १९८१ अप्रैल १९८१ दार्शनिक अप्रैल १९८१ ३१. जैन धर्म में भक्ति का स्थान ३२. आत्मा और परमात्मा ३३. अध्यात्म बनाम भौतिकवाद ३४. संयम : जीवन का सम्यक् दृष्टिकोण ३५. भेद विज्ञान : मुक्ति का सिंहद्वार ३६. जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित और लोकहित का प्रश्न ३७. सदाचार के मानदण्ड और जैनधर्म ३८. महावीर का दर्शन : सामाजिक परिप्रेक्ष्य ३९. सत्ता कितनी वाच्य कितनी अवाच्य ? जैन दर्शन के सन्दर्भ ४०. आधुनिक मनोविज्ञान के सन्दर्भ में आचारांग सूत्र का अध्ययन ४१. महावीर के सिद्धान्त : युगीन सन्दर्भ में ४२. पर्युषण पर्व : क्या, कब, क्यों और कैसे ४३. असली दूकान/नकली दूकान ४४. व्यक्ति और समाज ४५. जैन एकता का प्रश्न ४६. जैन साहित्याकाश का एक नक्षत्र विलुप्त ४७. ज्ञान और कथन की सत्यता का प्रश्न: जैनदर्शन के परिप्रेक्ष्य ४८. जैन अध्यात्मवाद आधुनिक सन्दर्भ में ४९. दस लक्षण पर्व/दस लक्षण धर्म के ५०. पर्युषण पर्व : एक विवेचन ५१. श्रावक धर्म की प्रासंगिकता का प्रश्न ५२. भाग्य बनाम पुरुषार्थ ५३. श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा का स्वरूप ५४. महावीर का जीवन दर्शन ५५. धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान ५६. हरिभद्र के धर्मदर्शन में क्रांतिकारी तत्त्व ५७. हरिभद्र की क्रांतिकारी दृष्टि : धूर्ताख्यान के सन्दर्भ में ५८. हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूल स्रोत ५९. जैन वाक्य दर्शन ६०. जैन साहित्य में स्तूप ६१. रामपुत्त या रामगुप्त : सूत्रकृतांग के सन्दर्भ में ६२. जैनधर्म में नैतिक और धार्मिक १९८१ अप्रैल १९८१ अगस्त १९८२ अगस्त १९८२ दिसम्बर १९८२ जनवरी १९८३ फरवरी १९८३ जून १९८३ तुलसी-प्रज्ञा/खण्ड६, अंक ९ श्रमण/वर्ष३३, अंकृ६ श्रमण/ वर्ष३३, अंक १० श्रमण/वर्ष ३३, अंक १० श्रमण/ वर्ष ३४, अंक २ श्रमण/वर्ष ३४ श्रमण परामर्श/अंक३, Vaishali Institute Research Bulletin No-4 श्रमण/वर्ष ३४ श्रमण/वर्ष३४, अंक ११ । श्रमण/वर्ष ३५ श्रमण श्रमण/वर्ष३६, अंक ९ श्रमण/वर्ष३६, अंक १२ श्रमण/वर्ष३७, अंक६ श्रमण/वर्ष३७, अंक १२ श्रमण/वर्ष३७, अंक १२ श्रमण/वर्ष३९, अंक ४ अगस्त १९८३ सितम्बर १९८३ १९८३ १९८४ जुलाई १९८५ अप्रैल १९८६ अप्रैल १९८६ अक्टूबर १९८६ अक्टूबर१९८६ फरवरी १९८७ श्रमण/वर्ष३९, अंक ४ Vaishali Institute Research Bulletin No-6 Aspects of Jainology/ Vol. II Aspects of Jainology/Vol. II Aspects of Jainology/ Vol. I अक्टूबर१९८७ 1987 1987 1987 1987 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012014
Book TitleSagarmal Jain Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1998
Total Pages974
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy