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________________ ६६ ११. मुकुल मेहता जैन विद्या के आयाम खण्ड - ६ जैनधर्म में आध्यात्मिक विकास : एक तुलनात्मक विवेचन १९८१ वर्ष क्रमांक लेख का नाम १. जैन दर्शन में निश्चय और व्यवहार नय २. जैन दर्शन का त्रिविध साधना मार्ग जुलाई १९७४ पत्रिका/अंक दार्शनिक The Vikram/नानचंद जी जन्म शताब्दी स्मृति ग्रन्थ मई एवं आचार्य आनन्द ऋषि अभिनन्दन ग्रन्थ वीर निर्वाण स्मारिका दार्शनिक नवम्बर १९७४ १९७४ १९७५ अक्टूबर १९७५ जिनवाणी, अप्रैल, १९७९ राजेन्द्र-ज्योति दार्शनिक महावीर जयन्ती स्मारिका महावीर जयन्ती स्मारिका महावीर जयन्ती स्मारिका मुनिद्वय अभिनन्दन तीर्थंकर महावीर स्मृति ग्रन्थ सम्बोधि, वाल्यूम ६ १९७५-७६ अप्रैल १९७६ १९७६ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ अक्टूबर १९७७ ३. निश्चय और व्यवहार किसका आश्रय लें? ४. अहिंसा : एक तुलनात्मक अध्ययन ५. अद्वैतवाद और आचार दर्शन की सम्भावना ६. भगवान महावीर का अपरिग्रह सिद्धान्त और उसकी उपादेयता ७. जैन, बौद्ध और गीता दर्शन में मोक्ष का स्वरूप : एक तुलनात्मक अध्ययन ८. नीति के निरपेक्ष एवं सापेक्ष तत्त्व ९. महावीर के सिद्धान्त : आधुनिक सन्दर्भ में १०. सप्तभंगी : त्रिमूल्यात्मक तर्कशास्त्र के सन्दर्भ में ११. स्यावाद : एक चिन्तन १२. जैन दर्शन में नैतिकता की सापेक्षता और निरपेक्षता १३: जैन दर्शन में मोक्ष का स्वरूप १४. समाधिमरण (मृत्युवरण) : एक तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन १५. मूल्यबोध की सापेक्षता १६. मानवतावाद और जैनाचार दर्शन १७. भारतीय दर्शन में सामाजिक चेतना १८. नैतिक मूल्यों की परिवर्तनशीलता का प्रश्न १९. जैनदर्शन में नैतिक मूल्यांकन का विषय २०. जैन, बौद्ध और गीता के दर्शन में कर्म का शुभत्व एवं अशुभत्व और शुद्धत्व २१. जैनदर्शन के 'तर्क प्रमाण' का आधुनिक ___ सन्दर्भो में मूल्यांकन २२. मनः शक्ति, स्वरूप और साधना : एक विश्लेषण २३. सदाचार के शाश्वत मानदण्ड और जैनधर्म (५००/- रुपये का प्रथम पुरस्कार प्राप्त) २४. जैनदर्शन में मिथ्यात्व और सम्यक्तव २५. प्रवर्तक एवं निवर्तक धर्मों का मनोवैज्ञानिक विकास एवं उनके दार्शनिक एवं सामाजिक प्रदेय २६.जैन साधना के मनोवैज्ञानिक आधार २७. अहिंसा का अर्थ विस्तार, सम्भावना और सीमा क्षेत्र २८. नैतिक मानदण्ड : एक या अनेक २९. बालकों के संस्कार निर्माण में अभिभावक, दार्शनिक तीर्थंकर दार्शनिक दार्शनिक तुलसी प्रज्ञा/वाल्यूम ४, अंक ३ महावीर जयन्ती स्मारिका, जयपुर अक्टूबर १९७७ जनवरी १९७८ जनवरी १९७८ अप्रैल १९७८ १९७८ १९७८ दार्शनिक श्री पुष्कर मुनि अभिनन्दन ग्रन्थ श्री दिवाकर स्मृति ग्रन्थ अक्टूबर १९७८ १९७९ १९७८ श्री दिवाकर स्मृति ग्रन्थ श्रमण/वर्ष ३०, अंक ८ १९७८ १९७९ श्रमण/वर्ष ३०, अंक ११ श्रमण/वर्ष ३१, अंक ३ दार्शनिक श्रमण सितम्बर १९७९ जनवरी १९८० जनवरी १९८० जनवरी १९८० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012014
Book TitleSagarmal Jain Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1998
Total Pages974
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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