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________________ डॉ० सागरमल जैन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व के लिए कहीं न कहीं कोई द्वार उद्घाटित हो ही जाता है । उस समय म.प्र.शासन ने यह नियम प्रसारित किया कि २५००० रु.की स्थायी राशि बैंक में जमा करके कोई भी संस्था महाविद्यालय का संचालन कर सकती है। अत: आपने तत्कालीन विधायक श्री प्रताप भाई से मिलकर एक महाविद्यालय खुलवाने का प्रयत्न किया और विभिन्न स्रोतों से धन राशि की व्यवस्था करके बालकृष्ण शर्मा नवीन महाविद्यालय की स्थापना हुई और आपने उसमें प्रवेश ले लिया । व्यावसायिक दायित्व से जुड़े होने के कारण आप अधिक नियमित तो नहीं रह सके, फिर भी बी.ए. परीक्षा में बैठने का अवसर तो प्राप्त हो ही गया । इस महाविद्यालय के माध्यम से सन् १९६१ में बी.ए. की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की । इस समय आप पर व्यावसायिक, पारिवारिक और सामाजिक दायित्व इतना अधिक था कि चाहकर भी अध्ययन के लिए आप अधिक समय नहीं दे पाते थे। अत: अंकों का प्रतिशत बहुत उत्साहजनक नहीं रहा तो भी शाजापुर से जो छात्र इस परीक्षा में बैठे थे उनमें आपके अंक सर्वाधिक थे । आपके तत्कालीन साथियों में श्री मोहन लाल जैन एवं आपके ममेरे भाई रखबचन्द्र प्रमुख थे । परिवार और समाज गृही जीवन में सन् १९५१ में आपको प्रथम पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई, किन्तु दुर्दैव से वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सका। अगस्त १९५२ में आपके द्वितीय पुत्र नरेन्द्रकुमार का जन्म हुआ। सन् १९५४ में पुत्री कु० शोभा का और १९५७ में पुत्र पीयूषकुमार का जन्म हुआ । बढ़ता परिवार और पिता जी की अस्वस्थता तथा छोटे भाई-बहनों का अध्ययनइन सब कारणों से मात्र पच्चीस वर्ष की अल्पवय में ही आप एक के बाद एक जिम्मेदारियों के बोझ से दबते ही गये । उधर सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में भी आपकी प्रतिभा और व्यवहार के कारण आप पर सदैव एक के बाद दूसरी जिम्मेदारी डाली जाती रही । इसी अवधि में आपको माधव रजत जयंती वाचनालय, शाजापुर का सचिव; हिन्दी साहित्य समिति, शाजापुर का सचिव तथा कुमार साहित्य परिषद् और सद्-विचार निकेतन के अध्यक्ष पद के दायित्व भी स्वीकार करने पड़े। आपके कार्यकाल में कुमार साहित्य परिषद् का म.प्र.क्षेत्र का वार्षिक अधिवेशन एवं नवीन जयंती समारोहों के भव्य आयोजन भी हुए । इस माध्यम से आप बालकवि बैरागी, पद्मश्री डॉ० लक्ष्मीनारायण शर्मा आदि देश के अनेक साहित्यकारों से भी जुड़े । इसी अवधि में आप स्थानीय स्थानकवासी जैन संघ के मंत्री तथा म.प्र.स्थानकवासी जैन युवक संघ के अध्यक्ष बनाये गये । सादडी सम्मेलन के पश्चात् स्थानकवासी जैन युवक संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष के रूप में आपने म.प्र.के विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक दौरा भी किया तथा जैन समाज की एकता को स्थायित्व देने का प्रयत्न किया । एम. ए. का अध्ययन और व्यवसाय में नया मोड़ इन गतिविधियों में व्यस्त होने के बावजूद आपकी अध्ययन की अभिरुचि कुंठित नहीं हुई, किन्तु कठिनाई यह थी कि न तो शाजापुर में स्नातकोत्तर कक्षायें खुलनी सम्भव थीं और न इन दायित्वों के बीच शाजापुर से बाहर किसी महाविद्यालय में प्रवेश लेकर अध्ययन करना ही, किन्तु शाजापुर महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य श्री रामचन्द्र 'चन्द्र' की प्रेरणा से एक मध्यम मार्ग निकाला गया और यह निश्चय हुआ कि यदि कुछ दिन नियमित रहा जाये तो अग्रिम अध्ययन की कुछ सम्भावनायें बन सकती हैं। उन्हीं के निर्देश पर आपने जुलाई १९६१ में क्रिश्चियन कालेज, इन्दौरा में एम.ए. दर्शन-शास्त्र के विद्यार्थी के रूप में प्रवेश लिया । इन्दौर में अध्ययन करने में आवास, भोजन आदि की अनेक कठिनाइयाँ रहीं। सर्वप्रथम आपने चाहा कि क्रिश्चियन कालेज के सामने नसियाजी में स्थित दिगम्बर जैन छात्रावास में प्रवेश लिया जाय, किन्तु वहाँ आपका श्वेताम्बर कुल में जन्म लेना ही बाधक बन गया, फलत: क्रिश्चियन कालेज के छात्रावास में प्रवेश लेना पड़ा । वहाँ नियमानुसार छात्रावास के भोजनालय में भोजन करना आवश्यक था, किन्तु उसमें शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन बनते थे और चम्मच तथा बर्तनों का कोई विवेक नहीं रखा जाता था। कुछ दिन आपने मात्र दही और रोटी खाकर निकाले, किन्तु अन्त में विवश होकर छात्रावास छोड़ दिया । कुछ दिन इधर-उधर रहकर गुजारे, अन्त में राजेन्द्र नगर में मकान लेकर रहने लगे। कुछ दिन पत्नी को भी साथ ले गये, किन्तु पारिवारिक स्थिति में यह सुख अधिक सम्भव नहीं था। फिर भी आपने अध्ययन-क्रम को निरन्तर जारी रखा । सप्ताह में दो-तीन दिन इन्दौर और शेष समय शाजापुर । इसी भाग-दौड़ में आपने सन् १९६२ में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012014
Book TitleSagarmal Jain Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1998
Total Pages974
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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