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________________ जैन रहस्यवाद बनाम अध्यात्मवाद ३३३ रहस्यवाद की परिभाषा जहाँ वाद होता है वहाँ विवाद की शृंखला तैयार हो जाती है। आत्मसाक्षात्कार से की गई योगसाधना के साथ भी वाद जुड़ा और रहस्यवाद की परिभाषा में अनेकरूपता आई। इसलिए साहित्यकारों ने रहस्यभावना को कहीं दर्शनपरक माना और कहीं साधनापरक । कहीं भावात्मक (प्रेमप्रधान) तो कहीं प्रकृतिमूलक, कहीं यौगिक तो कहीं अभिव्यक्तिमूलक । परिभाषाओं का यह वैविध्य उसकी अनुभूति की विभिन्नता पर ही आधारित रहा है। इतना ही नहीं, कुछ विद्वानों ने तो रहस्यभावना का सम्बन्ध चेतना, संवेदन, मनोवृत्ति और चमत्कारिता से भी जोड़ने का प्रयत्न किया है। इसलिए आज तक रहस्यवाद की परिभाषा सर्वसम्मत नहीं हो सकी। भारतीय और भारतीयेतर विद्वानों द्वारा प्रस्तुत रहस्यवाद की विविध परिभाषाओं का उल्लेख करना, यहाँ विस्तार के भय से संभव नहीं है । मात्र हम उनका नामोल्लेख कर सकते हैं। पाश्चात्य विद्वानों में Albert Forges, Nettleship, walter Stace, Pfleiderer,१० • Pringle Panthison,११ E. Caird,१२ W. E. Hocking,१3 William James,१४ Von Hastman,१५ Ku. Underhill,१६ Frank Gayner १७ प्रभृति विद्वानों के नाम उल्लेखनीय हैं। इनमें अंडरहिल, हाकिंग और फ्रेंक गैनार को छोड़कर शेष सभी विद्वानों की परिभाषायें मनोदशा से विशेष सम्बद्ध हैं। उन्होंने स्वानुभूति को किसी साधना-विशेष से नहीं जोड़ा। अंडरहिल, हाकिंग और फ्रेंक गैनार की परिभाषायें रहस्यवाद की सही स्थिति पर विचार करती हुई दिखाई देती हैं । रहस्यवाद को हम केवल मनोदशा से ही नहीं जोड़ सकते, वह तो वस्तुतः किसी एक साधनापथ पर आचरित होकर आत्मसाक्षात्कार करने का एक मार्ग है। भारतीय विद्वानों में राधाकृष्णनन, ८ महेन्द्रनाथ सरकार,१६ राधाकमल मुकर्जी,२० वासुदेव जगन्नाथ कीर्तिकर,२१ रानाडे,२२ रामचन्द्र शुक्ल, जयशंकर प्रसाद,२४ रामकुमार वर्मा,२५ महादेवी मा ७ Mystical Phenomena (London, 1926.) p. 3. Mysticism in Religion by Dr. W. R. Inge (Newyark) p. 25. E The teachings of the mystics (Newyark, 1960) p. 238. १० Mysticism in Religion by Dean. Inge. p. 25. ११ Mysticism in Religion by Inge. p. 25. १२ वही p. 25. १३ 'रहस्यवाद', परशुराम चतुर्वेदी से उद्धत, पृ० २० १४ The Varieties of Religious Experience a study in Human Nature (Long mans 1929) p. p. 379. 429 १५ भक्तिकाव्य में रहस्यवाद, पृ० १२. १६ वही पृ० १३ (Practical Mysticism by Under Hill. p. 3) १७ 'Mysticism Dictionaries' by Frank Gayner. १८ Eastern Religion and western thoughts., p. 61. १६ Mysticism in Bhagavad Gita (Calcutta 1944) p. 1 (Preface) २० Mysticism theory and Art, P.XII. २१ Studies in Vedanta. Bombay. 1924. p. p. 150-160. २२ Mysticism in Maharashtra, p. p. 1. 2. २३ काव्य में रहस्यवाद (आ० रामचन्द्र शुक्ल) २४ काव्य, कला तथा अन्य निबन्ध-प्रसाद २५ कबीर का रहस्यवाद, पृ० ६ (डा. रामकुमार वर्मा) चय शाचाप्राचार्य आनका ग्रन्थ श्रीआनन्दन्थ wwwvieomara mewwwammam mama Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012013
Book TitleAnandrushi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Devendramuni
PublisherMaharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
Publication Year1975
Total Pages824
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size21 MB
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