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________________ श्री आनन्द अ १६४ PrajaTh श्री आनन्द अन्थ अन्तःकरण की प्रवृत्ति, हलचल, विचारों की लहरें, ये भाव हैं। इसी को अभिप्राय भी कहते हैं भावश्चित्ताभिप्रायः १ – भाव अर्थात् चित्त का अभिप्राय । चेतना के अन्तरसागर में उठनेवाली तरंगेंभाव हैं । तो इस प्रकार भव का अर्थ हुआ संसार और भाव का अर्थ हुआ प्राचीन आचार्य ने कहा है संसारमुक्ति का साधन । एक १ आचार्यप्रवर श्री आनन्दऋषि: व्यक्तित्व एवं कृतित्व भवो जन्म-जरा-मृत्युर्भावस्तस्य निवारणम् । जन्म-जरा- बुढ़ापा - मृत्यु आदि का चक्र-प्रवाह है भव, और उसका निवारण है भाव । भव से छुटकारा चाहने वाले को भाव की उपयोगिता, भाव की प्रक्रिया समझनी होगी कि भाव के द्वारा, विचारों के द्वारा किस प्रकार भव से मुक्ति मिल सकती है ? Jain Education International प्रानन्द-वचनामृत [ अगरबत्ती अग्नि के संयोग से वायुमंडल को सुवासित कर देती है, दीपक अग्नि के स्पर्श से गृह को आलोकित कर देता है, वैसे ही मन सत्शास्त्र एवं सद्गुरु के संयोग से जीवन को सुरभित और प्रकाशमय बना देता है । आज नहीं, 'कल'; 'कल' कहना आलसी और कायर व्यक्ति का लक्षण है । आज नहीं, अब; 'अब '; यह उद्घोष साहसी और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति का परिचायक है । कविता का सब से बड़ा गुण है - अदृश्य से साक्षात्कार, अगम्य का आत्मानुभव और अप्राप्य - (शान्ति) का मधुर संवेदन ! [ गांठ को काटना नहीं, खोलना चाहिए । काटने से समस्या हल नहीं होती, अधूरी ही खत्म हो जाती है । काटना — हिंसक प्रयोग है, खोलना -अहिंसात्मक प्रतीकार है । काटना-शक्ति है, खोलना — प्रेम है । ✩ काम और कामना में बड़ा अन्तर है । काम - ( कार्य ) से शक्ति बढ़ती है, साहस दीप्त होता है, यश मिलता है । कामना से - शक्ति का ह्रास होता है, मन में दीनता छा जाती है और संसार में बदनामी होती है । काम — ऊँचा उठाता है, कामना -- नीचे गिराती है । काम - आगे बढ़ाता है, कामना - पीछे ढकेलती है । काम - अवश्य करते रहना चाहिए, कामना -- कभी नहीं करनी चाहिए । आचारांग श्र. १ अ० २, उ. ५ की टीका For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012013
Book TitleAnandrushi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Devendramuni
PublisherMaharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
Publication Year1975
Total Pages824
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size21 MB
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