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________________ द्वितीय खण्ड: जीवनदर्शन १८६ . ++ ++++ + + ++ + ++++++++ ++ ++ ++ ++++ ++ + + + + + + +++ +++ ++ ++ ++ +++++ + ++ ++ ++++++ की है। आपका स्वर मधुर है । प्रवचन करने की कला चित्ताकर्षक है। अभी भी श्रमणी विद्यापीठ घाटकोपर बम्बई में अध्ययन कर रही है। __ महासती प्रेम कुवर जी (बक्सू जी) आपका जन्म बाड़मेड़ जिला के सिवाना ग्राम में हुआ । आपके पिताश्री का नाम मूलचन्द जी गोलेच्छा और माता का नाम सुवटीबाई था। विक्रम सम्वत् १९७६ (सन् १९१९) को आपका जन्म हुआ। महासती हरकूजी के उपदेश सुनकर विक्रम सम्वत् २००६ (सन् १९४७) मार्गशीर्ष कृष्णा ६ को आपने दीक्षा ली। आप चौपाई और रास आदि का वाचन सुन्दर करती हैं । आपका कण्ठ मधुर है और सेवाभाविनी हैं। बाल ब्रह्मचारिणी विदुषी श्री विमलवती जी आपका जन्म बाड़मेड़ जिले के कोरना ग्राम में सम्वत् १९६६ (सन् १९३९) भाद्रपद अष्टमी गुरुवार को हुआ । आपके पिता का नाम गेवीरामजी तथा माता का नाम बक्सूबाई था। महासतो हरकूजी के उपदेश से प्रभावित होकर अपनी माता के साथ सम्वत् २००६ (सन् १९४६) मार्गशीर्ष कृष्णा ६ को पादरू ग्राम में दीक्षा ग्रहण की। आपने संस्कृत, प्राकृत व हिन्दी का अच्छा अभ्यास किया है। आपकी प्रवचनशैली तथा गायनशैली सुन्दर व प्रभावोत्पादक है। महासती श्री एजाजी आपका जन्म उदयपुर राज्य के शिशोदे गांव वि० सं० १९६० में हुआ। आपके पिता का नाम घेरूलालजी था और माता का नाम उमरावबाई था। आप महासती नजर कुंवरजी के उपदेश से प्रभावित होकर वाटि ग्राम में सम्वत् २००६ माघ सुदी तेरस को दीक्षा ग्रहण की। आपकी प्रकृतिभद्र है और साथ ही सेवाभावी भी हैं। महासती श्री दयाकुवर जी आपका जन्म उदयपुर राज्य के रावलिया ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम नाथूलाल जी और माता का नाम नाथीबाई था। आपका विवाह मादड़ा निवासी मोतीलाल जी चौधरी के साथ हुआ। आपने विदुषी महासती धूल कुवर जी के उपदेश से प्रभावित होकर सम्वत् २००६ में पालि-मारवाड़ में दीक्षा ग्रहण की। आप सेवाभाविनी एवं तपस्विनी साध्वी हैं। आपने कई बार मासखमण आदि की तपस्या की है। बाल ब्रह्मचारिणी विदुषी श्री चन्दनबाला जी ___ आपका जन्म उदयपुर में सम्वत् १९६४ मिगसर सुदी १० को हुआ। आपके पिताश्री का नाम सोहनलालजी खाबिया और मातेश्वरी का नाम सोहनबाई है । विदुषी महासती शील कुवर जी के सदुपदेश से सम्वत् २००६ चैत्र वदी ५ को (सन् १९५२) चैत्र बदी पंचमी को उदयपुर में आपने आहती दीक्षा ग्रहण की। संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी भाषाओं का आगम व थोकड़ साहित्य का अच्छा परिज्ञान है। आपने जैनसिद्धान्ताचार्या परीक्षा समुत्तीर्ण की। आपकी प्रवचन शैली सुन्दर व मधुर है। चन्दन की सौरभ, गुणस्थान द्वार, संगीत-सौरभ, जैन तत्त्व ज्ञान आदि आपके द्वारा संपादित रचनाएँ हैं। महासती श्री खम्माणकुवर जी 'आपका जन्म उदयपुर राज्य के कराई ग्राम में विक्रम सम्बत् १९६२ में हुआ। आपके पिता का नाम जसराजजी और माता का नाम धापूबाई था । आपका विवाह वाटी गांव निवासी धनरूपजी बम्बोरी के सुपुत्र देवीलाल जी के साथ हुआ । महासती लहर कुवर जी के उपदेश से आकर्षित होकर आपने सम्वत् २००६ (सन् १९५२) को वाटिग्राम में दीक्षा ग्रहण की । आपका स्वभाव शान्त है, तथा सेवाभाविनी साध्वी हैं। बाल-ब्रह्मचारिणी श्री प्रियदर्शना जी आपका जन्म उदयपुर में विक्रम सम्वत् २००२ वैशाख सुदी दूज (सन् १९४८) में हुआ। आपके पिता का नाम कन्हैयालाल जी लोढ़ा और माता का नाम राजीबाई है। आपका गृहस्थाश्रम का नाम टेबा बहन था । महासती श्री पुष्पवती जी के उपदेश से प्रभावित होकर आपने सम्वत् २०१८ फाल्गुण कृष्णा (तेरस तारीख ४-३-१९६२) को दीक्षा ग्रहण की। हिन्दी, संस्कृत भाषा का अच्छा अभ्यास है । अध्ययनशीला के साथ आप सेवाभाविनी हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012012
Book TitlePushkarmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
PublisherRajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1969
Total Pages1188
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size39 MB
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