SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1067
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६४ श्री पुष्करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ : नवम खण्ड विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने तथा आहार का उचित मात्रा में वितरण कर रोगों से रक्षा करने वाला द्रव्य है। यह हरा धनिया, गाजर, मक्खन व सब्जियों से, गेहूँ आदि अन्नों के चोकर तथा निंबू, संतरा, आंवला आदि से प्राप्त होता है। किससे कितनी केलरी मिलती है उसका वर्णन निम्नलिखित है१ ग्राम वसा या स्नेह से प्राप्त होती है & केलरी १ ग्राम कार्बोहाइड्रेट ४ केलरी १ बड़ी कटोरी दाल पतली १०० से ११० केलरी १ टुकड़ा ब्रेड (२० ग्राम) ५० केलरी १ संतरा ४० केलरी १ आम १०० केलरी १ चम्मच शकर (चाय का चम्मच) २० केलरी १ ग्राम प्रोटीन ४ केलरी १ फुलका चुपड़ा हुआ १०० केलरी ३/४ कटोरी या ३० ग्राम सूखा चावल १०० केलरी १ ग्लुकोज बिस्किट ४० केलरी १ केला ४० से ५० केलरी १ औंस हरी सब्जी १५ से २० केलरी १ औंस मलाई रहित दूध २० केलरी १०० ग्राम अनाज या दाल (गेहूं चावल, अरहर, बाजरा, चना, मूंग आदि) ३५० केलरी सामान्यतया साधक के भोजन में प्रोटीन (५० से ७० ग्राम) २८० केलरी, स्नेह (४० ग्राम) ३६० केलरी, कार्बोहाड्रा इट (३०० ग्राम) १२०० केलरी, होना चाहिए जो लगभग ५० साल की उम्र वाले और सामान्य परिश्रम करने वाले के लिए पर्याप्त होता है। साधक के लिए कितने केलरी आहार की दैनिक आवश्यकता होगी? यदि वह किशोर और युवा है तो २३०० केलरी, प्रौढ़ ५० से ६० वर्ष की उम्र का हो तो २००० केलरी, और वृद्ध ६० से ७५ वर्ष उम्र का हो तो १५०० केलरी। इसमें भी जो शारीरिक श्रम नहीं करते उन्हें इससे भी कम केलरी आहार पर्याप्त हो सकता है और जो अधिक शारीरिक श्रम करते हैं वे इससे कुछ अधिक ले सकते हैं। कहाँ से कितनी केलरी मिल सकती है यह निम्नलिखित तालिका से पता लग सकता है: सामान्यतया यह आहार साधक के लिए उपयुक्त हो सकता है। दूध बिना शकर का १ प्याला, १ खाकरा, या १०० ग्राम फल सवेरे अथवा ब्रेड १ स्लाइस । दोपहर को दो फुलके, दाल १ कटोरी (लगभग आठ बड़े चम्मच), उबली सब्जी १५० से २०० ग्राम, कचूबर ५० ग्राम, छाछ १ ग्लास या दही एक कटोरी। शाम को ४ बजे १ दूध का ग्लास या फल का रस । शाम को ६ बजे २ फुलके या १ कटोरी भात, उबली सब्जी, दाल, कचूबर, छाछ या दही, घी-तेल १ चम्मच से अधिक न हो। इस आहार से १५०० केलरी मिल सकती हैं और प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज द्रव्य उचित मात्रा में मिल सकते हैं। यह संतुलित आहार है। जितनी केलरी अधिक बढ़ानी हों आहार की मात्रा बढ़ाने से मिल सकती है। मिर्च-मसाला, शकर आदि त्याग सकें तो अच्छा। __इस आहार से शरीर स्वस्थ रहकर ध्यान में स्फूर्ति रह सकती है। यदि गरिष्ठ आहार होता है तो ध्यान में तन्मयता नहीं होती। या तो ध्यान में ग्लानि आती या नींद; जबकि ध्यान में सजग और अप्रमत्त रहना आवश्यक होता है। साधना की सफलता से लिए स्वस्थ शरीर होना आवश्यक है और शरीर को स्वस्थ्य और कार्यक्षम रखने के लिए आहार का स्थान महत्त्वपूर्ण है। इसलिए जिन्हें साधना करनी हो उन्हें भोजन की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। *** Jain Education International For Private & Personal Use Only - www.jainelibrary.org
SR No.012012
Book TitlePushkarmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
PublisherRajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1969
Total Pages1188
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy