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________________ ३८ ] [ पं० रतनचन्द जैन मुख्तार : नहीं की, निश्चयपक्ष और व्यवहार पक्ष का सापेक्ष कथन ही किया। प्रागम की बात पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए उन्होंने कभी कुतर्क को महत्त्व नहीं दिया। करणानुयोग का उनका विशद अध्ययन था । वे ज्ञानमार्ग और ध्यानमार्ग दोनों को ही साथ-साथ महत्त्व देते थे । स्वाध्याय आपके जीवन का प्रमुख उद्देश्य रहा। आपने रागद्वेष, मोह, माया व कषायों से भरसक दूर रह कर अपने जीवन को प्रगतिशील बनाया। स्व० मुख्तार सा० का जीवन हम सबके लिए प्रेरणा प्रदान करने वाला है। उस प्रेरणास्पद व्यक्तित्व को शतश: नमन ! अद्वितीय प्रश्नसह * डॉ. महेन्द्रकुमार जैन, भगवाँ (छतरपुर) म० प्र० पूज्य विद्वद्वर्य श्री रतनचन्दजी मुख्तार समाज के ख्यातिप्राप्त एवं गणमान्य विद्वान् थे। आपकी विद्वत्ता, प्रकाण्ड पाण्डित्य एवं प्रश्न-सहन-क्षमता अद्वितीय थी। चतुरनुयोग सम्बन्धी शङ्काओं के समाधान में आपकी समानता अन्य विद्वान् नहीं कर सके। मैं आपकी श्रुत सेवा एवं समाजोपकारी कार्यों का हृदय से अभिनन्दन करता हूँ। स्व० पण्डितजी को कोटि-कोटि वन्दन ! मोक्षमार्ग के पथिक * डॉ० चेतनप्रकाश पाटनी, जोधपुर "सः जातो येन जातेन, याति धर्मः समुन्नतिम् । अस्मिन् असारसंसारे, मृतः को वा न जायते ॥" अजीज और एण्ड ज, अविनाश और अक्षय, सबके जन्मों का लेखा-जोखा नगर निगम रखते हैं: परन्त कछ ऐसे भी हैं जिनके जन्म का लेखा राष्ट्र, समाज और जातियों के इतिहास प्यार से अपने अङ्क में सुरक्षित रखते हैं। जुलाई १६०२ में जन्मा यह बालक भी ऐसा ही था रतनचन्द । मध्यम कद, दुर्बल शरीर, चौड़ा ललाट, भीतर तक झाँकती सी ऐनक धारण की हुई आँखें, धीमा बोल, सधी चाल और सदैव स्मित मुख मुद्रा बस यही था उनका अङ्गन्यास । सफेद धोती और दुपट्टा, सामान्यतः यही था उनका वेषविन्यास । सहृदय, मृदुभाषी, सरल परिणामी, करुणाशील, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी; जीवन नियमित, दृष्टि स्पष्ट, शक्ति सीमित पर उसी में सन्तुष्ट, समझदार साथी, कड़वाहट पीकर भी वातावरण को मधुरता प्रदान करने वाले, वात्सल्य के धनी, बस यही था उनका अन्तर आभास । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012009
Book TitleRatanchand Jain Mukhtar Vyaktitva aur Krutitva Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Shastri, Chetanprakash Patni
PublisherShivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
Publication Year1989
Total Pages918
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size20 MB
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