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________________ AE SODaDa0500006009ORNAY 9500 000 20.0 3606 manod | परिशिष्ट ६६७ करने की एक दृष्टि है। वर्षों से सामाजिक और राष्ट्रीय कार्यों में संस्थाओं को भी। हर सामाजिक कार्य में आप सदा ही अग्रगण्य रहे सक्रिय रहे हैं। आपके ज्येष्ठ भ्राता संचालाल जी सा. बाफणा वर्षों हैं। परम श्रद्धेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. और तक अ. भा. स्था. जैन कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष पद पर आसीन रहे । आचार्यसम्राट् श्री देवेन्द्र मुनि जी म. के प्रति भी आपकी अनन्य और समाज को एक और नेक बनाने के लिए अथक प्रयास करते । आस्था रही है। प्रस्तुत ग्रंथ में आपका हार्दिक सहयोग प्राप्त हुआ, रहे, वही भव्य-भावना आपमें भी है। आप भी समाज का कायाकल्प तदर्थ आभारी। . . करने के लिए समय-समय पर अथक प्रयास करते रहे हैं। आप श्री रमणभाई जयन्तीभाई पुनमिया : बसई (बम्बई) वर्षों से धुलिया में रहते हैं। आपकी धर्मपत्नी का नाम अ. सौ. किरणदेवी है। आप पर श्रद्धेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. की धर्मरूपी कल्पवृक्ष के फल हैं-सुख, सौभाग्य, यश, निर्मल असीम कृपा रही है एवं आचार्यश्री की भी आप पर अपार कृपा विचार, देव-गुरु-धर्म के प्रति भक्ति, दान की भावना एवं साधु-संतों है। समाज को आपसे बहुत बड़ी अपेक्षा है। औद्योगिक क्षेत्र में जहाँ के प्रति हार्दिक अनुराग। जिसमें ये लक्षण दिखते हैं, वह जीवन आपने एक कीर्तिमान स्थापित किया है वैसे ही सामाजिक क्षेत्र में अवश्य ही धर्म का आराधक/उपासक रहा होगा यह माना जा भी आपने प्रतिष्ठा प्राप्त की है। आप जैसे समर्थ सुश्रावक समाज सकता है। श्री रमणभाई जयन्तीभाई पुनमिया के जीवन को देखकर के शृंगार हैं। प्रस्तुत ग्रंथ के लिए आपका सहयोग प्राप्त हुआ, तदर्थ । हम कह सकते हैं धर्मरूपी कल्पवृक्ष के फल उन्हें अपने जीवन में हार्दिक साधुवाद। प्राप्त हुए हैं। श्री नेमनाथ जी जैन : इन्दौर आप राजस्थान में सादड़ी मारवाड़ के निवासी हैं। आपके पूज्य पिताश्री का नाम मोतीलाल जी था। आपकी मातेश्वरी का नाम एक महान् चिन्तक ने लिखा है-“कुछ व्यक्तियों में सहज जमनाबाई है। आपका व्यवसाय केन्द्र बसई (बम्बई) है। आप दो प्रतिभा होती है कुछ व्यक्तियों पर प्रतिभा थोपी जाती है।" जिन पर भाई हैं-रमणभाई और जयन्तीभाई। दोनों की यह जोड़ी प्रतिभाएँ थोपी जाती हैं वे विकास नहीं कर पाते किन्तु गुमराह राम-लक्ष्मण की तरह है। आपकी दो पुत्रियाँ हैं-सौ. विमलाबाई होकर ऐसे कार्य कर बैठते हैं जिसका जीवन भर उन्हें पश्चात्ताप और सौ. कान्ताबाई। रहता है। लाला नेमनाथ जी जैन एक प्रतिभा पुरुष हैं। रावलपिण्डी (पाकिस्तान) में उनका जन्म हुआ। इलेक्ट्रिकल, मेकेनिकल व रमणभाई की धर्मपत्नी का नाम भानुमतिदेवी है। आपके दो बायलर टेक्नालॉजी में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। पाकिस्तान पुत्र हैं-अशोक और संजय। अशोक जी की धर्मपत्नी का नाम बनने पर आप रावलपिण्डी से इन्दौर में आकर बसे और अपनी ललितादेवी है और उनके पुत्र का नाम अक्षय तथा लड़की का नाम प्रतापपूर्ण प्रतिभा से औद्योगिक क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित । कु. इतिशा है। रमणभाई के तीन पुत्रियाँ हैं-स्व. आशा, सौ. रक्षा किया। आपने अनेक स्थानों पर फैक्ट्रीयाँ लगाई हैं। प्रेस्टीज ग्रुप के । और कु. बबीता। आप मालिक हैं। सोया प्रोसेसिंग रिफाइन्ड ऑयल की और एल. जयन्तीभाई की धर्मपत्नी का नाम कान्ताबाई है और उनके पी. जी. गैस सिलेण्डर, स्टील प्लान्ट, टेलीविजन फैक्ट्री और निलेश और जुलेश दो सुपुत्र हैं तथा कु. नीता पुत्री है। दोनों भाइयों आयात-निर्यात के साथ डेढ़ सौ करोड़ से भी अधिक का कारोबार । की अपूर्व भक्ति उपाध्यायश्री के प्रति रही है। प्रस्तुत ग्रन्थ के आपका है। प्रकाशन में आपका आर्थिक अनुदान प्राप्त हुआ है, तदर्थ हम जहाँ औद्योगिक क्षेत्र में आपके चरण आगे रहे हैं वहाँ धार्मिक आभारी हैं। क्षेत्र में भी आप सदा ही अग्रणी रहे हैं। वर्षों से इन्दौर श्रावक संघ श्री जे. डी. जैन : गाजियाबाद के अध्यक्ष हैं और मध्य प्रदेश अ. भा. स्था. जैन कॉन्फ्रेंस के भी आप अध्यक्ष हैं तथा अ. भा. जैन कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष हैं। इनके एक महान् आचार्य ने जीवन के सम्बन्ध में चिन्तन प्रस्तुत अतिरिक्त अनेक संस्थाओं के आप सम्माननीय अध्यक्ष हैं। स्वाध्याय करते हुए कहा कि वही जीवन सार्थक जीवन है जिस जीवन में भवन, छवि मेमोरियल, छवि नेत्र कोष आदि अनेक स्कूलों के आप । संयम की मधुर सौरभ, जिस जीवन में धर्म पल्लवित और पुष्पित निर्माता भी रहे हैं। भारत सरकार के द्वारा आपको उद्योग पत्र और हुआ हो। यदि जीवन में धर्म नहीं है तो वह जीवन पशुतुल्य है। उद्योग विभूषण आदि पद राष्ट्रपति के द्वारा प्राप्त हुए हैं। श्री पुष्कर धर्म ही पशु-जीवन से मानव-जीवन को पृथक् करता है। सुश्रावक गुरु महाविद्यालय, पुष्कर गुरु नगर में आपने शिलान्यास किया है। प्रसिद्ध उद्योगपति श्री जे. डी. जैन एक प्रमुख श्रावक हैं। जहाँ और आपके द्वारा एक महाविद्यालय का इन्दौर में निर्माण हो रहा। उन्होंने व्यवसाय के क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया है वहाँ है। आप उदार हृदय के धनी हैं। अनेक संस्थाओं को आपने बहुत पर वे जीवन के ऊषाकाल से ही धर्मनिष्ठ रहे हैं। धार्मिक ही उदारता के साथ दान दिया है। पार्श्वनाथ शोध संस्थान, सद्भावनाएँ उनके जीवन में प्रारम्भ से रहीं। यही कारण है कि वाराणसी को आपने लाखों का अनुदान दिया है और अन्य उन्होंने धर्मोपदेष्टा श्री फूलचंद जी म. की जिस प्रकार सेवा-सुश्रुषा
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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