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________________ FOUNGUS.GALSUSUSUBRUARORS 00:00 21600:00 OPYR ५९७ । जन-मंगल धर्म के चार चरण अनुपयोगी और हानिकारक है मांसाहार जीवनीय तत्व (विटामिन्स) मुख्य हैं। शरीर के पोषण, संवर्धन और आजकल मांसाहार का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है। संरक्षण के लिए हमारे दैनिक आहार में आवश्यकतानुसार उचित किन्तु वैज्ञानिक खोजों से यह सिद्ध हो चुका है कि मनुष्य के मात्रा में इनका समावेश होना सन्तुलित भोजन माना जाता है। सामान्य जीवनयापन के लिए मांसाहार कतई उपयोगी या आवश्यक | किन्तु कुछ अति उत्साही लोगों ने प्रोटीन को इतना अधिक महत्व दे नहीं है। इसके अतिरिक्त मांस, मछली, अण्डा आदि को धार्मिक दिया है कि अधिक प्रोटीन की लालसा ने लोगों को मांसाहार की दृष्टि से भी अभक्ष्य माना गया है। वे केवल धार्मिक दृष्टि से ही { ओर प्रेरित कर दिया। सम्भवतः अधिक प्रोटीन एवं मांसाहार ने ही अभक्ष्य पदार्थ नहीं हैं, अपितु स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वे उपयोगी, लोगों में बीमारियाँ उत्पन्न होने का अवसर दिया। लोगों में घुटने का आवश्यक या हितकारी नहीं हैं। पहले इन अखाद्य पदार्थों में दर्द होने का एक कारण शरीर में प्रोटीन की अधिक मात्रा होना है। विटामिन और प्रोटीन की अधिक मात्रा पाई जाने के कारण मनुष्य विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भी प्रारम्भ से यही सिखाया के लिए उपयोगी माना गया था, किन्तु जैसे-जैसे चिकित्सा विज्ञानीय जाता है कि प्रोटीन शरीर के लिए आवश्यक और महत्वपूर्ण तत्व गहरी खोजें होती गई वैसे-वैसे इन पदार्थों की खाद्य पदार्थ के रूप है और यह अण्डा में अधिक मात्रा में पाया जाता है। किन्तु उन्हें में अनुपयोगिता सिद्ध होती गई। यह जानकारी नहीं दी जाती कि शरीर के लिए कितना प्रोटीन आवश्यक होता है और कितना आसानी से सुपाच्य होता है? मांसाहार के समर्थन में एक यह तर्क प्रस्तुत किया जाता है कि मांस और अण्डे में प्रोटीन की बहुत अधिक मात्रा होती है। किन्तु आज आहार के विषय में नवीनतम खोजें सामने आ रही हैं वैज्ञानिक खोजों ने यह तथ्य उजागर किया है कि अधिक मात्रा में जिनसे पता चलता है कि आहार के सम्बन्ध में लोगों में कितनी सेवन किया गया प्रोटीन लाभदायक नहीं होता है। प्रोटीन की भ्रांतियाँ थी। अब वे भ्रांतियाँ टूटती जा रही हैं। अब माना जाने अधिक मात्रा सेवन करने से मनुष्य के शरीर में तत्वों का जो लगा है कि अधिक प्रोटीन खाना कतई उपयोगी नहीं है, अपितु वह असंतुलन उत्पन्न हो जाता है उससे मनुष्य शीघ्र ही अस्वस्थ या हानिकारक होता है। अतः अण्डा खाना और मांस का सेवन करना बीमार हो जाता है। कभी-कभी उससे उसका मानसिक सन्तुलन भी रोगों को आमंत्रण देना है। बिगड़ जाता है और वह मानसिक विकृति से आक्रान्त हो जाता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में पोषण विभाग के अतः अधिक मात्रा में प्रयुक्त प्रोटीन लाभदायक नहीं होता है। प्रोफेसर डॉ. महेश चन्द्र गुप्ता ने शाकाहारी आहार को वैज्ञानिक सामान्यतः प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक दिन में १०-१५ ग्राम प्रोटीन दृष्टिकोण से मांसाहारी आहार की तुलना में श्रेष्ठ बताते हुए कहा की आवश्यकता होती है, किन्तु मांसाहार करने वाले या नियमित Jहै कि शाकाहारी भोजनों में अनेक ऐसे पदार्थ पाए जाते हैं जो रूप से अण्डा खाने वालों के शरीर में प्रोटीन की अधिक मात्रा । कैंसर जैसी घातक बीमारियों से भी बचाव कर सकते हैं। उन्होंने पहुंच जाती है जो बिल्कुल भी लाभप्रद नहीं होती है। बताया कि यद्यपि प्रोटीन की मात्रा दोनों प्रकार के भोजनों में पर्याप्त होती है, किन्तु विटामिन सी और ए मुख्यतः शाकाहारी जो लोग प्रोटीन के आधार पर मांसाहार का समर्थन करते हैं । भोजन में ही पर्याप्त रूप से उपलब्ध होता है। इसके विपरीत जिस उनके अनुसार शाकाहार में इतना प्रोटीन नहीं मिलता है कि शरीर मांसाहारी खाद्य में विटामिन ए अधिक होता है, वह है अण्डा की आवश्यकता की पूर्ति हो सके, अतः शरीर के लिए अपेक्षित जिसमें कोलेस्ट्रोल की भी मात्रा अधिक होता है। कोलस्ट्रोल केवल प्रोटीन की आपूर्ति मांसाहार के द्वारा करना चाहिए। किन्तु वे भूल सामिष खाद्यों में ही होता है। निरामिष भोजन में नहीं। एक अण्डे जाते हैं कि शरीर के लिए उतना प्रोटीन आवश्यक ही नहीं होता है में लगभग २५० मि.ग्रा. कोलेस्ट्रोल होता है। असान्द्रित वसा जितना वे मांसाहार के द्वारा प्राप्त करते हैं। अतः अधिक मात्रा में (अनसेचुरेटेड फैट्स) प्रायः निरामिष भोजन में ही पाई जाती है। शरीर में पहुँचा हुआ प्रोटीन शरीर के लिए हानिकारक होता है। इसके अतिरिक्त अनेक डाक्टरों की राय है कि मांस का सेवन प्रोटीनों में भी प्राणिज प्रोटीन अपेक्षाकृत अधिक हानिकारक होता करने वाला और नियमित रूप से अण्डा खाने वाला व्यक्ति जितने है। वानस्पतिक प्रोटीन ही शरीर के लिए अधिक उपयोगी होता है, भयंकर रोगों से पीड़ित या ग्रस्त होता है उतना शाकाहारी कभी वह भी उचित मात्रा में। इस सन्दर्भ में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है नहीं होता। इसके अतिरिक्त सामिष भोजनों से अनेक संक्रामक रोग कि बाजरा से जो प्रोटीन प्राप्त होता है वह अत्यन्त उच्चकोटि का होने की सम्भावना रहती है। उदाहरण के लिए स्फीतकृमि, यकृत 0 होता है और उसके समक्ष मांस से प्राप्त होने वाला प्रोटीन नगण्य सम्बन्धी विकार आदि। क्योंकि जिन पशुओं का मांस आहार के है। अतः बाजरा में विद्यमान प्रोटीन असंदिग्ध रूप से स्वास्थ्य के लिए लिया जाता है वे पशु जिस किसी भी रोग से पीड़ित हों वह लिए उपयोगी और लाभदायक होता है। जबकि मांस और अण्डा में रोग उस पशु के मांस को खाने वाले में संक्रमित होने की प्रबल विद्यमान प्रोटीन रोगोत्पादक होता है। सम्भावना रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार शायद ही कोई ऐसा लाभ शरीर के लिए जिन तत्वों की आवश्यकता होती है उनमें है जो सामिष खाद्य से प्राप्त होता है। इसके विपरीत सामिष भोजन सामान्यतः प्रोटीन कार्बोहाड्रेट, स्नेह (वसा), लवण, क्षार, लौह और निरामिष भोजन की तुलना में अधिक मंहगे भी होते हैं। 20000 प OMOOMROHOROSHAN 5600:096.0.06:00.00.00OAR DHODIGODgogo 00Dada 18.00Pारणा aD3E5800रयात BANDO. 29.0 appamayDag BoGODA DARASOORa02040 10-02 Golmprog89
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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