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________________ । इतिहास की अमर बेल PORN ४८३ । _महासती श्री दयाकुंवर जी म. आपकी निम्न पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, चंदन पर्व प्रसाद, चन्दन की सौरभ, साधना के गीत भाग १-२, गुणस्थान द्वार, नवक्त्व, आपका जन्म संवत् १९६९ के कार्तिक मास में उदयपुर । भक्तामर स्तोत्र आदि। (राजस्थान) के रावल्या ग्राम में हुआ। आपके पिता जी का नाम श्रीमान् भगवान जी परमार और माताजी का नाम श्रीमती आपकी शिष्याएँ तीन हैं-श्री देवेन्द्रप्रभा जी म., श्री धर्मज्योति फूलबाई है। जी म. और श्री मंगलज्योति जी म.। आपने उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु बनाकर आपका विचरण मेवाड़, मारवाड़ और मालवा में हुआ। महासती श्री शीलकुंवर जी म. के पास संवत् २००६ माघ कृष्णा आपकी स्वाध्याय के प्रति विशेष रूचि है। दूसरों को स्वाध्याय के पंचमी को पाली (मारवाड़) में दीक्षा धारण की। लिए प्रेरित करने हेतु आपने वर्धमान स्वाध्याय संघ की स्थापना में आप सेवाभावी सती हैं। आपने मेवाड़, मारवाड़ और गुजरात प्रेरणा प्रदान की। में विचरण किया है। श्री प्रियदर्शना जी म. महासती श्री सत्यप्रभा जी म. आपका जन्म राजस्थान के उदयपुर नगर में संवत् २००२ आपका जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले के गाँव खण्डप में। वैशाख शुक्ला २ दिनांक १३ मई १९४४ को हुआ। आपके पिताश्री संवत् २००३ श्रावण कृष्णा २ को हुआ। आपके पिताश्री का नाम का नाम श्रीमान् कन्हैयालाल जी और माताजी का नाम श्रीमती श्रीमान् मिश्रीमल जी सुराणा और माता जी का नाम श्रीमती राजबाई है। आपने उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु बनाया सोनीबाई है। और परम विदुषी साध्वीरल महासती श्री पुष्पवती जी म. के पास आपने उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु बनाया और सं. २०१८ फाल्गुन कृष्णा १३ दिनांक ४ अप्रैल १९६२ को RDD महासती श्री सुकनकुंवर जी म. के पास बाड़मेर जिले के गाँव । उदयपुर में दीक्षा धारण की। आप आचार्यश्री देवेन्द्र मुनिजी म. की करमावास में दीक्षा ग्रहण की। मौसी की पुत्री बहिन हैं। आपने वर्धा की राष्ट्रभाषा कोविद परीक्षा उत्तीर्ण की। पाथर्डी आपने जैन सिद्धान्त विशारद परीक्षा उत्तीर्ण की। आगम, 64 धार्मिक परीक्षा बोर्ड की जैन सिद्धान्त प्रभाकर परीक्षा उत्तीर्ण की। दर्शन, हिन्दी, संस्कृत तथा स्तोक साहित्य का अच्छा अभ्यास किया। संस्कृत, हिन्दी, गुजराती, भाषा का अभ्यास किया। आगम तथा आपके द्वारा प्रकाशित एक पुस्तक है-आदर्श कहानियाँ। स्तोक साहित्य का अध्ययन किया है। आप अच्छी प्रवचनकार है। आपकी एक शिष्या है-श्री सुप्रभा जी म.। स्वभाव मिलनसार है। आपका स्वभाव सरल व मधुर और सेवापरायण है। आपके आपकी चार शिष्याएँ हैं-श्री चंदनप्रभा जी म., श्री सुमित्रा जी । प्रवचन मधुर और प्रभावक हैं। आपने राजस्थान, गुजरात, म., श्री धर्मशीला जी म. और राजमती जी म.। महाराष्ट्र और कर्नाटक में विचरण किया है। आपका विचरण मारवाड़, गुजरात और महाराष्ट्र में हुआ। श्री विनयवती जी म. साध्वी श्री चन्दनबाला जी म. "सिद्धान्ताचार्य" आपका जन्म मेवाड़ प्रदेश के उदयपुर जिले के गाँव पदराड़ा आपका जन्म मेवाड़ की राजधानी उदयपुर में विक्रम संवत् में हुआ। आपके पिता जी का नाम श्रीमान् खेमराज जी नेमीचंद जी १९९४ मृगशीर्ष शुक्ला दशमी को हुआ। आपके पिताश्री का नाम दौलावात है और माताजी का नाम सौ. मोहनबाई खेमराज जी श्रीमान् सोहनलाल जी खाबिया एवं माताजी का नाम श्रीमती सोहनबाई खाबिया है। आपने वि. सं. २००९ चैत्र कृष्णा पंचमी आपने उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु बनाया और को उपाध्यायश्री पुष्कर मुनिजी म. को गुरु बनाकर परम विदुषी विदुषी महासती श्री कौशल्या कुमारी जी म. के पास वि. सं. आगमज्ञाता शासन प्रभाविका श्री शीलकुंवरजी म. के पास उदयपुर २०१९ माह सुदी ११ को पदराड़ा में दीक्षा ग्रहण की। में दीक्षा ग्रहण की। आपने जैन सिद्धान्त प्रभाकर परीक्षा पास की। आप आपने हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत और अंग्रेजी भाषाओं का । सेवाभावनी है। अध्ययन करते हुए तिलोकरन स्थानकवासी जैन धार्मिक परीक्षा । बोर्ड की सर्वोच्च परीक्षा "जैन सिद्धान्ताचार्य" उत्तीर्ण की। आपने राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में विचरण किया है। 100-00-00 S Educationminternationalso.2 000000000000000%aesaas AND-CEO ForatePesonaD OS 0000000000000000
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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