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________________ Jan Extur प्राचीन चित्र की प्रतिलिपि वि. सं. १७६७ में जैनाचार्य श्री अमरसिंह जी महाराज दिल्ली के बादशाह बहादुरशाह को अहिंसा-जीव दया का उपदेश प्रदान करते हुए । Prin FURY LANKES NOMES 345 सूक्ष्म हस्तलिपि एवं चित्रकला के महान कलाकार आचार्य श्री जीतमल जी म. द्वारा बनाया हुआ चित्र जिसमें एक चने की दाल; जिस पर लाल झूलों सहित १०८ हाथी चित्रित हैं । यह चित्र वि. सं. १८७१ में जोधपुर नरेश राजा मानसिंह जी के लिए बनाया जिसमें बताया है कि एक चने की दाल जितने सूक्ष्म स्थान में १०८ हाथी चित्रित किये जा सकते हैं वह भी अपनी आँखों से दिखायी नहीं देता है तो जल की एक बूँद में असंख्यात जीव छद्मस्थ की आँखों से कैसे दिखलायी पड़ सकता है। इसमें एक दोहा भी अंकित है- दाल चिणा की तेह में बाधत है कछु घाट । शंका हो तो देख लो हाथी एक सौ आठ ॥ चित्र देखकर राजा मानसिंह आचार्यश्री के कथन पर श्रद्धावनत हो गये। आपका शास्त्र सत्य है। जिन सूक्ष्म तत्वों को मनुष्य की आँख नहीं देख सकती उनके अस्तित्व को नकारना मनुष्य की भूल है। Only
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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