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________________ 3%805 Godara 006ORG 0000११८ उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि स्मृति-ग्रन्थ । D. जिनेश्वर देव उनकी आत्मा को चिरशांति एवं शाश्वत सुख । | प्रदान करे। अद्भुत लोकप्रिय संत -बाबूलाल सिरेमलजी लुंकड़ Re जन-जन की श्रद्धा के केन्द्र FOOFOR उपाध्याय पूज्य गुरुदेव श्री पुष्कर मुनिजी म. सा. का -शांतिस्वरूप जैन संथारापूर्वक देवलोक का कुछ दिनों पहले समाचार सुनकर मैं परम् पूजनीय उपाध्याय श्री श्री १००८ श्री पुष्कर मुनि जी। हतप्रभ रह गया। इस शून्यता की प्रतिपूर्ति होना असंभव है। गुरुदेव B 88 महाराज सा. का देवलोक गमन सुनकर मन बहुत दुखित हुआ। वे का व्यक्तित्व अद्भुत लोकप्रिय था, भक्तों की श्रद्धा समुद्री लहरों की म जन-जन की श्रद्धा के केन्द्र व अध्यात्मयोगी थे। उन्होंने जो कार्य तरह उमड़ पड़ती थी। उनके कालधर्म से जैन समाज की व श्रमण Bedeo जाति व समाज के लिए किये हैं वे कभी भी भुलाए नहीं जा । सघ का अपूरणाय क्षात हुइ ह। सकते। हम बड़े भाग्यशाली हैं जो कि चादर समारोह पर उनके ह म दर्शन हुए। यह हमारे जैन समाज के लिए बहुत भारी क्षति है जो गुरुवर गये सही पर मिटे नहीं HD कभी पूर्ण नहीं हो सकती। मेरी व मेरे समस्त परिवारजन की ओर से आचार्य श्री एवं सभी साधुवृन्द व साध्वीवृन्द के चरणों में बहुत -जितेन्द्र नगावत एवं परिवार 3DD-बहुत वंदना-नमस्कार। "जिन्दगी के जहर को अमृत बनाकर पी गये हैं। SOR उनका नाम ही गुणों का पर्याय । शूल से भी फूल से मुस्कराकर जी गये हैं। मौत बेचारी उन्हें क्या छू सकेगी? -कपूरचन्द जैन जो लाखों दिलों में आस्था केन्द्र बनकर जी गये हैं।" BP उपाध्याय श्री जी का जीवन कितना महान् एवं आदर्शमय रहा “जग कहता है, गुरुवर रहे नहीं, 595 है। यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। जिनका नाम ही जिनके गुणों मन कहता है, गुरुवर हटे नहीं। 3BDB का पर्याय है। जिनकी यशोकीर्ति आकाश की भाँति असीम रही है। जग भी सच्चा मन भी सच्चा, प्र य नाम लेते ही जिनकी अद्भुत अलौकिक अनुपम छवि स्मृति पटल गुरुवर गये सही पर मिटे नहीं। पर उभर आती है। और मैंने तो साक्षात् उस दिव्य विभूति के 358दर्शन किए हैं। पर समय की अबाध गति है, समय किसी का रास्ता सच ही हमें भी उसी रास्ते पर जाना है पर गुरुदेव के बताये 8 नहीं देखता। परन्तु कभी-कभी ऐसे दिव्य पुण्य पुरुष भी इस समय हुए मार्ग को हम अपनायेंगे तभी हमारा जीवन सार्थक होगा। की परिधि में आ जाते हैं। इस क्रूर काल ने किसी को बख्शा नहीं, पूज्यवर की आत्मा शीघ्र मोक्षगामी बने। गुरुवर के श्री चरणों PP कब पापी अपनी लपेट में ले जाए इसका भरोसा नहीं। में नगावत परिवार के श्रद्धा सुमन अर्पित हों। उपाध्याय श्री जी संसार के लिए धर्म मार्ग प्रशस्त करते हुए "आईं थी मनहूस घड़ियाँ कैसी शनिवार को । स्वयं साक्षात् धर्म रूप हो गए हैं। उपाध्याय श्री ने अपनी प्रताप पूर्ण छीनकर जो ले गईं हमारे आधार को ॥ क र प्रतिभा की तेजस्विता से जन-जन को प्रभावित किया। वे एक लब्ध प्रतिष्ठित सन्त थे। असहनीय दुःख ऐसे मंगलमूर्ति गुरुदेव के अमर जीवन की गाथाएँ भारत कर वसुन्धरा के कण-कण से मुखरित होती रहें यही मेरी मंगल कामना -आर. सी. रूनवाल उपाध्याय पूज्य श्री पुष्कर मुनि जी म. सा. के स्वर्गवास के Pos अन्त में जीवन और मृत्यु से परे सदा आनन्दमय, चिन्मय, समाचार मिलने से हमें बहुत असहनीय दुःख हुआ। विधि के 30.9 दिव्य आत्मा को मेरे त्रिकाल वन्दन अभिवन्दन। गण विधान के आगे किसी की भी नहीं चलती है। जिस समय आग की ज्वालाएं धधकने लगें उस समय कोई चाहे कि आग को कुआ खोदकर बुझा दूंगा। जैसे यह कार्य मूर्खतापूर्ण है वैसे ही बुढ़ापा आने पर हम धर्म करेंगे यह कथन भी उतना ही हास्यास्पद है। -उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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