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________________ १५८ मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ संदेश संत जीवन चलता-फिरता दवाखाना! - अवधानी-पूज्य अशोक मुनिजी (सा० रत्न) भारत एक धर्मप्राण महादेश है और इस धर्मप्रेमी समाज की सबसे बड़ी इकाई तथा आधारशिला है साधुसंत ! संतजीवन संस्कारित, जागरूक तथा सबल होने से स्वभावतः ही समाज समृद्ध, प्रगतिशील तथा शक्तिमान हो जाता है। भारत की भूमि को कई संतों ने पवित्र किया है। उन्होंने 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का आदर्श सामने रखकर सबके सुख के लिए विविधतापूर्ण सामाजिक शक्तियों को एक माला में पिरोने का प्रयास किया है। भारत की गरिमा को आध्यात्मिक शक्ति से मंडित करना उनके जीवन का एक महान् लक्ष्य है। संत जीवन सही अर्थों में एक 'चलता-फिरता दवाखाना' ही है। यह दवाखाना आंतरिक प्रकृति सुधार कर आत्मा के रोगों को दूर करता है तथा क्रोध, मोह, माया, मत्सर, लोभ, हिंसा, द्वेष, ईर्ष्या आदि तमोगुणों का नाश करता है। दवा भी दो प्रकार की होती है । एक, बाहर लगाने की और दूसरी, खाने की। रोगी अगर विवेक भूलकर लगाने की दवा खा ले, तो रोग बढ़ जाएगा। जो चीज अन्दर उतारने की है, वह अन्दर लेने से ही रोग मिट सकता है । अन्यथा दवा के दुष्परिणाम स्पष्ट हैं। अत: धन बाहर लगाने की, तथा धर्म अन्दर ले लेने की दवा है। संतों के जीवन-आदर्शों को अपनाकर और उनके बताए हुए मार्ग पर चलकर प्रत्येक प्राणी शांति और आनन्द को प्राप्त कर सकता है। जनता के लिए, प्राणिमात्र के लिए संतोपदेश प्रेरणादायी और अनुकरणीय होता है। संतों के लिए प्राणिमात्र की सेवा ही प्रभु-सेवा का साधन होता है। देश और काल की कोई सीमा उन्हें सीमित नहीं कर सकती । संत-सज्जन तो आध्यात्मिक प्रेरणा के दिव्यदूत हैं। उन्होंने आध्यात्मिक ज्योति में नवजागरण का सन्देश भी दिया है। प्राणिमात्र के प्रति सहानुभूति का भाव दिखाकर उन्होंने सिद्ध कर दिया है कि 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना लोक-कल्याण का उत्तम साधन है । उन्होंने संस्कृति और धर्म के आदर्शों के संरक्षण में अमूल्य योगदान दिया है। इसी के कारण उनका जीवन सही मायने में 'धर्माचरण की सजीव कथा' कहा जा सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012006
Book TitleMunidwaya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni, Shreechand Surana
PublisherRamesh Jain Sahitya Prakashan Mandir Javra MP
Publication Year1977
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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