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________________ सन्देश शुभ आपसे महान् मुनि के अभिनन्दन की इस मांगलिक परम्परा पर हम श्रद्धामय भावांजलि समर्पित करते हुए गौरवान्वित मान रहे हैं । जिन्होंने अपनी सुदीर्घ संयम पर्याय के जीवन में व्यक्ति एवं समाज को पवित्र संदेश कामना के रूप में सम्यक् ज्ञान-दर्शन- चारित्राराधना की ओर अग्रसर किया । हम चाहते हैं कि आपश्री अनेकानेक वर्षों तक हमारे लिये पितृकुल के समान मार्गदर्शन प्रदान करते रहें । जैनधर्म की साधना, सम्यक् ज्ञान-दर्शन- चारित्राराधना से संयुक्त है । ऐसी सर्वोच्च साधना के द्वारा ही मुमुक्षुजन अपना आध्यात्मिक विकास कर सकने में सक्षम होते हैं । इस साधना के सिद्धि लाभ से ही तो आत्मा भी परमात्मा बन जाती है । अनंत अनंतकाल से भटकती हुई आत्मा को इस सबोध की प्रेरणा सदा से मिलती आई है, मुनि जनों से ! इस मुनिप्रेरणा से जीवन अपने सच्चे स्वरूप में लहराने लगता है और उसे शाश्वत आनन्द की उपलब्धि हो जाती है । इन्हीं परम पावन परम्परा के परिचायक जैनागमतत्त्वविशारद, प्रवर्तक, परम श्रद्धेयवर्य श्री हीरालालजी महाराज हैं । जिन्होंने जैनागम के तात्त्विक रहस्यों को प्रत्येक समय सामान्य जनों को उनके हितार्थ उजागर किया । उनको जिनवाणी के पवित्र माध्यम से सुन्दरतम रूप से मार्गदर्शन दिया । जैनागम स्वाध्याय एवं ज्ञानाभ्यास की अभिवृद्धि की। आप निरन्तर ही प्रतिबोध देने में कभी हिचकिचाते नहीं हैं । संयम साधना के साथ ही साथ आपकी संघ-सेवायें भी उल्लेखनीय हैं । आप कार्य करने में तथा उसमें लगन से जुट जाने में ही विश्वास करते हैं । स्वयं की सजगता ही आप पसन्द करते हैं। प्रमादी जीवन का आपके पास कोई मूल्यांकन नहीं है । ऐसे परमोपकारी मुनिप्रवर के प्रति हमारी यही आमोदमयी भावना है कि हमारे संघ गौरव प्रवर्तक श्रद्धेयवर्य हमारे जीवनपथ को आलोकित करके संसार के भविजीवों को भी मोक्षमार्ग की प्रशस्तता की ओर अग्रसर करते रहने की महती कृपा करें । अध्यक्ष : लक्ष्मीचन्द तालेडा Jain Education International मंत्री : अभयराज नाहर श्री जैनदिवाकर मित्र मंडल महावीर मार्ग, ब्यावर ( राज० ) For Private & Personal Use Only १४३ www.jainelibrary.org
SR No.012006
Book TitleMunidwaya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni, Shreechand Surana
PublisherRamesh Jain Sahitya Prakashan Mandir Javra MP
Publication Year1977
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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