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________________ सन्देश १३७ श्रद्धा-सुमन शभ उपाध्याय ज्योतिर्विद पूज्य प्रवर श्री कस्तूरचन्दजी महाराज कामना एवं प्रवर्तक श्री हीरालालजी महाराज भूतपूर्व आचार्य श्री हुक्मीचन्द जी महाराज एवं आ० श्री मन्नालालजी महाराज के सम्प्रदाय के हैं। संघ एक्य योजना में विलीनीकरण होने के पश्चात् अब आप श्रमण संघ में मूर्धन्य मुनियों में से हैं। सम्प्रदाय के नाते ऐसे मेरा सम्बन्ध अति सन्निकट एवं मधुर रहा है। कई बार उपाध्याय श्री कस्तूरचन्दजी महाराज एवं प्रवर्तकश्री जी के साथ सामाजिक एवं धार्मिक विचार-विमर्श, चर्चा-प्रश्नोत्तर एवं मार्गदर्शन लेने का मुझे स्वर्णिम अवसर मिलता रहा है। उपाध्याय श्री कस्तूरचन्दजी महाराज का बहुमुखी व्यक्तित्व किसी से भी छुपा हुआ नहीं है। जिनके मन-मोहन आनन पर सदैव शांति-समता सरलता की रेखाएं मंडराई हुई नजर आती हैं। जिनके हृदय-मंदिर में करुणा का अपार-अमिट वैभव सुरक्षित है । फलस्वरूप प्रतिवर्ष हजारों नरनारी उस करुणा-स्रोत से लाभान्वित हो रहे हैं। मैंने प्रत्यक्ष देखा एवं अनुभव किया है—आपकी अन्तरात्मा को प्रशस्त वातावरण प्रिय है। इसीलिए समय-समय पर आपके मुंह से संगठन की उद्घोषणा होती रही है । प्र. श्री हीरालालजी महाराज का विमल व्यक्तित्व भी अनुपम रहा है। आपको हँसमुख मुद्रा सहज में सभी को आकर्षित करती है। "साफ कहना-सुखी रहना" इस सिद्धान्त के अनुगामी हैं। आप स्वाभिमानी भी पूरे हैं । इन दिनों आप श्रमण संघ के प्रवर्तक पद को अलंकृत कर रहे हैं। आपने भारत के सभी प्रान्तों में विहार-यात्रा करके जिन-शासन की अनुपम प्रभावना की है। सश्रद्धा-सभक्ति युगल मुनियों के पावन चरणों में समर्पित श्रद्धा सुमन ! -फकीरचन्द मेहता, इन्दौर संघों द्वारा शुभकामनाएं 0 श्री रमेशमुनि महाराजश्री के समाचारों से मालूम हुआ कि उपाध्याय श्री कस्तूरचन्दजी महाराज एवं प्रवर्तक आगमतत्त्वविशारद श्री हीरालालजी महाराज का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। हमें अति प्रसन्नता हुई । महामनस्वियों का अभिनन्दन होना ही चाहिए । -श्री श्वे० स्थान जैन संघ सिकन्दराबाद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012006
Book TitleMunidwaya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni, Shreechand Surana
PublisherRamesh Jain Sahitya Prakashan Mandir Javra MP
Publication Year1977
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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