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________________ - १५ और परिशिष्ट : स्मृति ग्रन्थ में परिशिष्ट के रूप में - "डॉ० महेन्द्रकुमार जैन न्यायाचार्य स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन समिति” के पदाधिकारियों एवं सदस्यों की नामावलि तथा सम्पादक मण्डल के माननीय सदस्यों का परिचय सन्निविष्ट है । कृतज्ञता : इस स्मृति ग्रन्थ के सम्पादन कार्य में अनेक परम पूज्य साधु-सन्तों, शिक्षाशास्त्रियों, समीक्षकों, विद्वानों और लेखक महानुभावों का बहुविध हार्दिक सहयोग एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है । वस्तुतः इस आयोजना के प्रमुख प्रेरक परमपूज्य श्री १०८ उपाध्याय ज्ञानसागर जी मुनि महाराज हैं, उन्हीं के सान्निध्य और पावन प्रेरणा की फलश्रुति यह स्मृति ग्रन्थ है । उन्हें सादर निमोऽस्तु तथा ग्रन्थों के समीक्षकों, विद्वान् लेखकों, परामर्शदातृ मण्डल के सदस्यों और स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन समिति के माननीय अध्यक्ष श्रीमन्त सेठ डालचन्द्र जी जैन तथा अन्य सभी पदाधिकारियों और सदस्यों के प्रति सम्पादक मण्डल कृतज्ञता निवेदित करता है । अपने व्यस्त जीवन क्षणों में से कुछ समय निकालकर ग्रन्थ में प्रकाशनार्थ शुभाशीष / आदराञ्जलि तथा अन्य सामग्री भेजकर जिन महानुभावों ने आयोजना को मूर्तरूप प्रदान किया है उन सभी के हम आभारी हैं । संग्रहीत सामग्री का पारायण कर पाण्डुलिपि तैयार करने के कार्य में प्रधान सम्पादक माननीय डॉ० कोठिया जी एवं सम्पादक मण्डल के माननीय सदस्यों - सर्वश्री पं० हीरालाल जी कौशल, डॉ० कस्तूरचन्द्र जी कासलीवाल, डॉ० ‘भागेन्दु' जैन, डॉ० फूलचन्द्र जी प्रेमी और प्रबन्ध सम्पादक श्री बाबूलाल जैन फागुल के सक्रिय सहयोग नितरां उल्लेखनीय हैं । सम्पादक मण्डल के सभी मनीषी सदस्यों की बहुज्ञता का लाभ निरन्तर प्राप्त किया गया है । अतः सभी के प्रति हृदय से आभारी हैं । मानव की शरीर संरचना में जो महत्त्व 'रीढ़ की अस्थि' का है वही इस ग्रन्थ की आयोजना के क्रियान्वयन में श्री अरविन्दकुमार जी जैन (मुंबई), डॉ० अभय चौधरी एवं (सौ०) डॉ० आशा चौधरी, (सम्प्रति भोपाल), श्री संतोष भारती एवं सौ० आभा भारती (दमोह) का है । इस सन्दर्भ में श्री धन्यकुमारजी (वाराणसी), श्री पद्मकुमार जी (वाराणसी), एवं माननीय पं० हीरालाल जी कौशल एवं डॉ० सत्यप्रकाश जी दिल्ली, तथा श्री लक्ष्मीचन्द्र जी एवं सौ० मणिप्रभा सागर का सहयोग भी उल्लेखनीय है । इन सभी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता । इस ग्रन्थ का मुद्रण संस्कृत वाङ्मय और जैन विद्या ग्रन्थों के यशस्वी मुद्रक श्री महावीर प्रेस, वाराणसी ने अत्यन्त रुचिपूर्वक किया है । अतः यह समिति इस प्रेस के संचालक श्री बाबूलाल जैन फागुल्ल को हार्दिक धन्यवाद समर्पित करती है । अपनी सीमाओं और ग्रन्थ की त्रुटियों / कमियों से हम भली-भांति परिचित हैं । हम जानते हैं कि यह ग्रन्थ ( स्व ० ) डॉ० महेन्द्रकुमार जी जैन न्यायाचार्य जैसे मूर्धन्य विद्वान् के बहुआयामी विराट् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012005
Book TitleMahendrakumar Jain Shastri Nyayacharya Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Kothiya, Hiralal Shastri
PublisherMahendrakumar Jain Nyayacharya Smruti Granth Prakashan Samiti Damoh MP
Publication Year1996
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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