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________________ शत शत अभिनन्दन है हास्यकवि हजारीलाल जैन 'काका' सकरार देश, धर्म के लिये समर्पित जिनका तन मन धन है, श्रीमान् फूलचन्द शास्त्री का शत-शत अभिनन्दन है। वैसाख बदी चौथ सम्वत अट्ठावन की आई, श्रीसिंघई दरयावलाल घर बजने लगी बधाई, ग्राम सिलावन जिला ललितपुरने ऐसी निधि पाई, मात जानकीबाई इनको गोदी ले मुस्काई, सुन्दर बालक लखकर प्रमुदित हआ सभीका मन है, पंडित फूलचन्द्र शास्त्री का शत-शत अभिनन्दन है। होनहार विरवान चीक ने पत्तों वाले होते, महापुरुष भी इसी तरह कर्तव्य परायण होते, चार मील पैदल चल पढ़ने ग्राम खजुरिया जाते, तन मनसे पढ़नेवाले ही आगे नाम कमाते, फिर पहुँचे इन्दौर वहाँ भी किया खूब अध्ययन है, पंडित फूलचन्द्र शास्त्री का शत-शत अभिनन्दन है। पहले अध्यापक बनकर शिशुओं को ज्ञान सिखाया. बाद बनारस स्याद्वाद विद्यालयको अपनाया, धर्माध्यापक बनकर की तन-मन से सेवा भारी. सोलापुर में धवला के अनुवाद की कीनी त्यारी, धवला जयधवला का मिलकर कीना सम्पादन है, पंडित फूलचन्द्र शास्त्री का शत-शत अभिनन्दन है। भरा खुब भण्डार सरस्वती माँका कलम चलाकर, जैनतत्त्वमीमांसा जैसे तात्त्विक ग्रन्थ बनाकर, फिर भारत माँ की सेवा को सेनानी बन आये, तीन माह तक झाँसी कारागह में दिवस बिताये. बाँध न पाया इन्हें मोहका कोई भी बन्धन हैं, पंडित फलचन्द्र शास्त्री का शत-शत अभिनन्दन है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012004
Book TitleFulchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain, Kailashchandra Shastri
PublisherSiddhantacharya Pt Fulchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Varanasi
Publication Year1985
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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