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________________ चतुर्थ खण्ड : ४६९ ५वें श्लोकके आशयको स्पष्ट करते हुए लिखा है-भूतार्थ नाम सत्यार्थका है। भूत अर्थात् जो पदार्थमें पाया जावे, और अर्थ अर्थात् 'भाव ।" उनको जो प्रकाशित करे तथा अन्य किसी प्रकारको कल्पना न करे उसे भूतार्थ कहते हैं !"अभूतार्थ नाम असत्यार्थका है। अभूत अर्थात् जो पदार्थमें न पाया जावे और अर्थात् “भाव" उनको जो अनेक प्रकारकी कल्पना करके प्रकाशित करे उसे अभूतार्थ कहते हैं । वें श्लोककी टीकामें पंडितजी लिखते हैं-मनीश्वर अर्थात आचार्य अज्ञानी जीवोंको ज्ञान उत्पन्न करनेके लिये अभूतार्थ ऐसा जो व्यवहार उसका उपदेश करते हैं । जो जीव केवल व्यवहार ही का श्रद्धान करता है उसके लिये उपदेश नहीं है। ८वें श्लोककी टीकामें वक्ता कैसा होना चाहिये और श्रोता कैसा होना चाहिये, इस प्रयोजनको ध्यानमें पंडितजी लिखते हैं-जो जीव व्यवहारनय और निश्चयनयके स्वरूपको यथार्थ रूपसे जानकर पक्षपात रहित होता है वही शिष्य उपदेशका सम्पूर्ण फल प्राप्त करता है। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि संस्कृत टीकाकारने "तत्वेन भवति मध्यस्थः" का जो यह अर्थ फलित किया है कि "जो जीव निश्चयसे मध्यस्थ होता है अर्थात् कर्मोसे अनाश्रित होता है (निर्विकल्प होता है) वही देशनाके पूर्णफल अविनश्वर फलको प्राप्त करता है।' वह यथार्थ है । २१७वें श्लोककी टीका करते हुए पंडितजी लिखते हैं-सम्यक्त्व और चारित्रके प्रगट होनेपर ही मन, वचन, कायके योग तथा अनन्तानुबन्धीको छोड़कर शेष तीन कषायोंकी उपस्थितिमें तीर्थकर और आहारकद्विकका बन्ध होता है । अतः रत्नत्रय है वह तो बन्धक नहीं है, बन्धमें उदासीन है। इसकी संस्कृत टीकाका भी यही आशय है। जो हस्तलिखित प्रति हमारे सामने है, उसमें जो वाक्य रचना लिपिबद्ध हुई है उससे यह भाव स्पष्ट नहीं होता, इतना अवश्य है। (२) इस ग्रंथकी पं० श्री मक्खनलालजी शास्त्री तथा ब्र० पं० श्री मुन्नालालजी काव्यतीर्थ रांधलीयकी टीकायें और हैं, जो हमारे सामने नहीं होनेसे, हम उनके आधारपर तुलनात्मक रूपसे लिखने में असमर्थ हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012004
Book TitleFulchandra Shastri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain, Kailashchandra Shastri
PublisherSiddhantacharya Pt Fulchandra Shastri Abhinandan Granth Prakashan Samiti Varanasi
Publication Year1985
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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