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________________ अपभ्रंश-साहित्य : ६७ जिनदत्तसूरि जिनपद्मसूरि जिनप्रभसूरि जिनप्रभसूरि जिनप्रभसूरि जिनभद्र जिनवरदेव छत्रसेन कवि ठकुरसी कवि ठाकुर तेजपाल पं० दर्शन विजय दामोदर दामोदर (जिनदेव के पुत्र) देवचन्द देवदत्त देवसेन कवि देवदत्त देवनन्दी देवसूरि देवसेनगणि देल्हण धनपाल धनपाल धर्मसूरि धवल कवि धाहिल नयनन्दी नरसेन नेमचन्द पद्मकीर्ति पुष्पदन्त उपदेशरसायनरास (सं० ११३२-१२१०), चर्चरी रास । स्थूलभद्र फाग (सं० १३९० के लगभग) अनाथसन्धि, अन्तरंगरास, अन्तरंगविवाह । आत्मसम्बोध कुलक, मोहराजविजय, सावयविहि, जिनजन्ममह, नेमिनाथरास। वज्रसामिचरिउ (सं० १३१६) सुभाषितकुलक बुद्धिरसायण रुक्मिणीविधान मेघमालाकथा (र० सं० १५८०) सांतिणाहचरिउ (र० सं० १६५२), महापुराण कलिका (र० सं० १६५०) संभवणाहचरिउ (प्रतिलिपि सं० १५८३), वरांगचरिउ-(२० सं० १५०७), पारसणाहपुराणु (१६ वीं शताब्दी)। विजयतिलकसूरिरास (सं० १६७९)-प्रकाशित णेमिणाहचरिउ (र० सं० १२८७) सिरिपालचरिउ, णेमिणाहचरिउ, चंदप्पहचरिउ। पासणाहचरिउ (लिपि सं० १४९४) वरांगचरित, शान्तिनाथपुराण, अंबादेवीरास-(अनुपलब्ध) सावयधम्मदोहा-प्रकाशित । पासणाहचरिउ (र० सं० १२७५) रोहणीवयकहा उपदेशकुलक सुलोयणाचरिउ गयसुकुमालरास (वि० सं० १३०० के लगभग) भविसयत्तकहा (र० सं० १३९३) बाहुबलिचरिउ (र० सं० १४५४) जम्बूसामिरास (र० सं० १२६६) हरिवंसपुराण (१२ वीं शताब्दी के लगभग) पउमसिरिचरिउ (१० वीं शताब्दी के लगभग)-प्रकाशित सुदंसणचरिउ, सयलविहि विहाणकव्व (र० सं० ११०० के लगभग) सिद्धचक्ककहा, जिणरत्तिविहाणकहा (१४ वीं शताब्दी के लगभग) रविवउकहा, अणंतवयकहा पासणाहचरिउ (वि० सं० ९९९) महापुराण (वि० सं० १०१६-१०२२), नागकुमारचरित, यशोधरचरित-प्रकाशित । सुकुमालचरिउ कलिरास (वि० सं० १३६३) पूर्णभद्रमुनि प्रज्ञातिलक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012002
Book TitleMahavira Jain Vidyalay Suvarna Mahotsav Granth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Vidyalaya Mumbai
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1968
Total Pages950
LanguageGujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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