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________________ ૮૧ : શ્રી મહાવીર જૈન વિદ્યાલય સુવર્ણ મહોત્સવ ગ્રન્થ वीश्ववस्वाजीवदेआ(२०)ना पालक एकवीस सबलदोषना टालक (२१) बावीस पूरसोना जीपक श्रीसुगडांगसुत्रना तेवीस अधेनना] (२२) परूपक चोवीस तीर्थकरनी आज्ञाना पालक (२३) पंचवीस भावनाना भावक छवीस दशाक(२४)लपना जांण सतावीस अणगारगुणि करी (२५) वीराजमान अठावीस आचारना परूपक (२६) ओगणत्रस पापश्रुतना जांण त्रीस मुहनी (२७)स्थांनकना नीवारक एकत्रीस सीधगुणना (२८) जांण बत्रीस जोगसंग्रहना जांण तेत्रीस आ(२९)सातनाना टालक श्रीतीथंगरना चोत्रीस (३०) अतीसहेना जाण पांत्रीस वाणीगुणना प(३१)रूपक छत्रीस छत्रीसे करी वेराजमान एवं अ(३२)नेकओपमाजोग श्रीपूज्य जायसंपूने ब(३३)लशंपूने कूलसंपुने रूपसंपूने ओअंशी (३४) तीअंसी वंच(वचं)सी जीह (अ)कोही जीअमाणे (३५) जीअलोमे जीअनीद्दे सरस्वतीकंठआ(३६)भर्ण कलीकालगौतमाअवतार अबो(३७)धजीवप्रतिबोधक सकलभटारपुरं(३८)दर भटारकसरोमणी भटारक श्रीश्री(३९)श्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्री(४०)श्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीश्रीविजयप्रभसु(४१)रीस्वर सपरीवारां चरणांन् चरणकम(४२)लांन् [प्रणम्य श्रीवडनगरस्थांनात् लषीत शदा आदे(४३)शकारी चरणशेवक आज्ञाकारी पाए(४४)रजरेणुसमांन सेवक देवी रखजी दमो(४५)दर दो केस्वदास अमरसी गां अचल माड(४६)ण देवी अषइ गांधी द्वढा श्रे कानजी हरजी (४७) दो देवजी वीरजी दो जेवंत दो वस्ता जस(४८)राज सा अंदरजी श्रे जोगीदास हरीदास (४९) गां माधवजी दो सांतीदास कूअरजी गा सु(५०)दर मोघा सा तीक्रमदास तेजपाल दो वीर(५१)जी लडकण सा रतनीआ माधव देवी धनी (५२)आ वीरमजी देवी माहावजी मदनजी श्रे ओ(५३)धवजी मांडणजी सा कीका गणेश श्रे मांना (५४) हरीदास गाध कलाणजी श्रे सांढीऊ गणेस (५५) गाधी हलुओ देवी लाधा जीवण श्रे अंदूजी (५६) कलांणजी व सा प्रभुजी गा। वलभ दुलभ(५७)जी श्रे सोमजी मनोहर श्रे वीरा हरीदास श्रेला(५८)ला मुकंदास श्रे लाला वाछा श्रे लालजी सा गरी(५९)बदास देवी नारणजी हाथी सा वाघा श्रे मालीओ मक(६०)दीओ पटू खेमजी पटू केसवजी देवी वीरमु गुरो (६१) गाधी अभेराजी प्रमुख तथा संघसमस्तके(६२)न त्रकालवंदना अवधारजो जी __जत एहां (६३) श्रीपूजजीनी क्रीपाए करी धरमधान सुषि प्र(६४)वरते छ श्रीपूजजीना धरमधानना सु(६५)पसमाधनीराबाधपणाना कागुल समाचा(६६)र लषी सेवकने संतोष करवा(वो) तथा अत्र श्री(६७)पजु[स]णपरव नीरवधनपणे थिआं छे कालन्ना(६८)वसारू बीजुं तप तथा सांमीवछल लहेण प्र(६९)मुष धरमकरणी वसेषे थेआं छे तथा श्रीपू(७०)जजीनी आगनाए पंनां श्रीप्रीतवजे एहां (७१) चोमासु आवा तेणे करी संघनु मंन घणु रा(७२)जी राषू छे तेणे करीने धरमधान वशेषे चा(७३)लो छे श्रीभगवतीसुत्र सझाए श्रीऊतराधे(७४)नसुत्र वषाण वंचाए छे श्रावक टंक २ पडीक(७५)मणे आवे छै बीजू श्रीपूजजीना शीष (७६)जेवा जोइए तेवा छे घणु सारू छे बीजू श्री(७७)पूजजी वीनती अवधारजो जी आवता चुमा(७८)शानो आदेश पं. श्रीविनेवीमलने तथा (७९)गणी श्रीउदेसोमने आदेस प्रसाद कर(८०)जो जी अवस ए वीनती अवधारजो जी जो (८१)संघD मंन ठाम राषो तो पूरवे अत्रनो(ना) सं(८२)घन मंन घणुं बगडू हूतू ते पं. श्रीप्रीतवज(जे) (८३)अत्र आवते मंन षम रहूंछे हवे जेनी वी(८४)नती लषी छे तेने आदेस प्रसाद करसु तो (८५)संघनु मंन घj वधसे बु(बी)जू पूजे श्रीवीजे(८६)देवसुर पण नागरवांणीआ जांणीने वी(८७)नती अवधारता अने श्रीपूजजीए पण एम (८८)ज वीनती अवधारवी बु(बी)जू वडनगरनो सं(८९)घ सदैव श्रीपूजनो भगत छे परं पाटभगत (९०) छे श्रीपूजिजी श्रीवडनगरना संघ ऊपर क्रीपा . रा(९१)षो छो तेथी वसेषे अवधारजो ऊपाधा श्रीमेघ(९२)वीजे गणी पंडीत श्रीहेमवीजे गणी पंडती(डीत) श्रीप्री(९३)ते(त)वजे गणी पंडीत श्रीवीमलवीजे गणी पंडीत जी(९४)तवीजे गण(णी) पंडीत श्रीरीधवीजे गणी गणे(णी) वे(वि)वेक(९५)वीजे रूपवीजे प्रमुष श्रीजीना परवारने वंदना (९६)वीनवजो अत्रथी पं श्रीप्रीतवीजे गणी आं(९७)णंदवीजे मुनि रामवीज(जे)नी वंदना अवधार(९८)जो दूहा--- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012002
Book TitleMahavira Jain Vidyalay Suvarna Mahotsav Granth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Vidyalaya Mumbai
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1968
Total Pages950
LanguageGujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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