SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 403
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उन व्यक्तियों के लिये जो हिन्दी के माध्यम से आगामी भगवान महावीर स्मृति ग्रन्थ का अनुशीलन करना चाहते हैं, एक नयी उपलब्धि होने से उनके लिये नितान्त उपयोगी सिद्ध होगी। प्रधान सम्पादक-डा. ज्योतिप्रसाद जैन । प्रकाशकश्री महावीर निर्वाण समिति, उत्तरप्रदेश । प्राप्ति स्थान-श्री अजीत प्रसाद जैन, उपसचिव, श्री महावीर निर्वाण समिति, उत्तर प्रदेश, पारस सदन, आर्यनगर, लखनऊ--226,004 । मूल्य-पचास भगवान महावीर आधुनिक सन्दर्भ में रुपया । श्री महावीर निर्वाण समिति, उत्तरप्रदेश द्वारा सम्पादक-डा. नरेन्द्र भानावत, प्राध्यापक, हिन्दी प्रकाशित "भगवान महावीर स्मृति ग्रन्थ' में विविध विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, सह सम्पादक विषयों पर देश के सुप्रसिद्ध विद्वानों के लेखों को सुनियोडा. शान्ता भानावत । प्रकाशक-श्री अखिल भारत जित ढंग से संकलित कर विषय-सामग्री को सात खण्डों वर्षीय साधुमार्गी जैन संघ, समता भवन रामपुरिया में विभाजित किया गया है। जिनमें क्रमश: महावीर सड़क, बीकानेर। प्रख वितरक-मोतीलाल वनारसीदास, वचनामत. महावीर स्तवन, महावीरः यगः जीवन और बंग्लो रोड, जवाहर नगर, दिल्ली-7। मल्य-चालीस देन, जैन धर्म, दर्शन और संस्कृति, शाकाहार, उत्तररुपया। प्रदेश और जैनधर्म, तथा श्री महावीर निर्वाण समिति, उत्तरप्रदेश शीर्षकों के अन्तर्गत विविध सामग्री संकलित पुस्तक में विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय ख्याति की गई है। ग्रन्थ में अस्सी के लगभग निबन्धों, लेखों प्राप्त अधिकारिक विद्वानों के पचास लेखों, शोधपत्रों तथा शोध-पत्रों का संग्रह है। अनेकों लेख शोधपूर्ण एवं एवं निबन्धों का संग्रह है। पुस्तक की सामग्री नौ खण्डों उच्चस्तरीय होने से ग्रन्थ विविध विषयों पर एक उत्तम में विभाजित की गई है। प्रथम खण्ड में जीवन, व्यक्ति संकलन प्रस्तुत करता है। त्व और विचार, द्वितीय खण्ड में सामाजिक सन्दर्भ, ततीय खण्ड में आर्थिक सन्दर्भ, चतुर्थे खण्ड में राजनीतिक सन्दर्भ. पंचम खण्ड में दार्शनिक सन्दर्भ, षष्टम खण्ड में वैज्ञानिक सन्दर्भ, सप्तम खण्ड में भरत बाहुबलि महाकाव्यम मनोवैज्ञानिक सन्दर्भ, अष्टम खण्ड में सांस्कृतिक सन्दर्भ, एवं नवम् खण्ड में परिचर्चा शीर्षकों के अन्तर्गत प्रस्तुति-मुनिश्री नथमल। आशीर्वचन-आचार्य उच्चकोटि के लेखों एवं निबन्धों द्वारा अनेकों नवीन श्री तुलसी । अवारक-मुनि दुलहराज । प्रकाशकविषयों को छुआ गया है, जिससे नवीन सन्दर्भो में जैन विश्वभारती-लाउनू (राजस्थान) । मूल्य-तीस तीर्थकर महावीर के सिद्धांतों पर चिन्तन को बल मिला रुपया। है। पुस्तक शोधाथियों एवं पाठकों के लिए नितान्त __ श्री पुण्य कुशलमणि द्वारा वि. सं. 1641 से उपयोगी है। 1659 के मध्य विरचित संस्कृत महाकाव्य की दो उपलब्ध हस्तप्रतियों के आधार पर मुनिश्री नथमल द्वारा उसका पाठ संशोधन तथा त्रुटित श्लोक खण्डों की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy