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________________ भगवान महावीर का अपरिग्रह संग्रह - एक दार्शनिक विवेचन - एक चिरंतन प्रवृत्ति - अनादि काल से मनुष्य संचय एवं संग्रह की ओर आकर्षित होता चला आ रहा है । केवल आकर्षण ही नहीं अपितु विविध प्रकार के संग्रहों में इस मानव ने स्वयं को इतना संलग्न कर रखा कि वह अपने उदात्त अस्तित्व को भूला एवं अपनी आध्यात्मिक चेतना को भी विस्मत कर बैठा इस संदर्भ उसने गुरुओं से बहुत कुछ सुना सांसारिक परिवर्तनों ने उसे अनेक बार झकझोरा, स्वानुभूति के आलोक में उसने अपनी कमजोरियों को विविध रूपों में परखा अपने साथी के सम्पर्क में आकर अपनी भूलों को भी पहचाना तथा धार्मिकता एवं सामाजिकता के आदान-प्रदान में वनादि की संग्राहक अनुभूति की निस्सारता को अनुभूत किया, फिर भी वह अपनी ललक लालसा की उपेक्षा Jain Education International न कर सका। अपने खुले नेत्रों से इसी मानव ने धनवान् की प्रतिष्ठा देखी, दीन-हीन का अनादर देखा और श्रीमान के अत्याचारों से प्रपीड़ित कराहती हुई मानवता निन्दा करने वाले उन विद्वानों को जब इस इन्सान ने को एक बार नहीं अनेक बार देखा । धन-वैभवादि की धनवानों के प्रशस्ति गान में सलग्न पाया तो उसका अपरिग्रहवादी उन्मेष बालुका- निर्मित मित्ति की भांति शीघ्र बिखर गया । तथ्य तो यह है कि साँसारिक जीवन यापन में घनादि की आवश्यकता अनिवार्य है फिर भी इनके प्रति अमर्यादित गृध्रता अक्षम्य है । 1. यस्यातिवित्तं स नरः कुलीनः स पंडितः स श्रुतबान्गुणज्ञः । स एव वक्ता स च दर्शनीयः सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति । भर्तरि जैसे अनुभवी मनीषी का यह कथन कि सभी गुण सुवर्ण ( धनादि) में रहते है सार्वभौमिक सत्य की परिधि में नहीं माना जा सकता है,' धन-संग्रह की यह एकदेशीय उपयोगिता कही जायगी । प्रो० श्रीचन्द्र जैन सभी गुण सुवर्ण में निवास करते हैं। (क्योंकि) जिसके पास धन है बही आदमी आदमी अच्छे कुल का है, वही विद्वान, वही शास्त्रज्ञ और गुणों का पारखी है, वही भाषण देने में कुशल है और उसी का दर्शन करना चाहिए। (भर्तृहरि कृत शतकत्रयम्, अनुवादक श्रीकांत खरे, नीति शतकम्, पृष्ठ 34 ) १२४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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