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________________ ४०१ पंचमप्रकाश. . अर्थः- वली तेवीजरीतें जो उंगणीश दिवसो सुधि वहे, तो बसोने चालीश दिवस जाते थके मृत्यु थाय. तथा, विंशतिदिवसानेक, नासाचारिणि मारुते॥ साशीतौ वासरशते, गते मृत्युन संशयः॥ १७॥ अर्थः- वली एवीज रीतें जो वीश दिवसो सुधि वायु वहे तो एकसो ने एंशीदिवसे मृत्यु थाय, तेमा संशय नथी. तथा, एकदित्रिचतुःपंच, दिनषट्कक्रमदयात् ॥ एकविंशादि पंचादा, न्यत्र शोध्यानि तद्यथा ॥२०॥ ' अर्थः- एकवीश श्रादिक पांच दिवसोने, अनुक्रमें नीचे प्रमाणे, एक, बे, त्रण, चार, अने पांच संख्यावाला ब ब दिवसोना यथी शोधवा. एकविंशत्यहं त्वर्क, नाडीवाहिनि मारुते॥ चतुःसप्ततिसंयुक्तं, मृत्यु दिनशते नवेत् ॥१०ए॥ अर्थः- सूर्यनाडीमां जो एकवीश दिवसोसुधि वायु वहे तो, एकसोने चमोतेर दिवसें मृत्यु थाय. तथा, धाविंशतिदिनान्येवं, सषिष्ठावदाशते॥ षडदिनोनैः पंचमासै, स्त्रयोविंशत्यदानुगे॥११०॥ अर्थः- एवीज रीतें बावीश दिवसो सुधि जो नाडी वहे, तो एकसो ने बासठ दिवसें मृत्यु थाय, अने जो त्रेवीश दिवसो सुधि वदे तो पांच मासमां बदवस ने मृत्यु थाय. तथा; । तथैव वायौ वदति, चतुर्विंशतिवासरी॥ विंशत्यन्यधिक मृत्यु, नवेदिनशते गते ॥ १११ ॥ अर्थः- तेवीज रीतें जो चोवीश दिवसो सुधि वायु वहे, तो एकसो ने वीश दिवसें मृत्यु थाय. तथा, पंचविंशत्यदं चैवं, वायौ मासत्रये मृतिः॥ मासध्ये पुनर्मत्युः, षविंशतिदिनानुगे॥११॥ . अर्थः- एवीज रीतें जो पचीश दिवसोसुधि वायु वहे, तो त्रण मासे मृत्यु थाय, श्रने बवीश दिवसो सुधि वहे, तो बेमासे मृत्यु थाय. तथा,
SR No.011619
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages493
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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