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________________ २३ आचाराङ्गसूत्रे “ पिंडविसोही४-समिई५, भावण १२ पडिमा १२ य इंदियानि रोहो५ । पडिलेहण२५ गुत्तीओ३, अभिग्गहा४ चेव करणं तु ॥ १ ॥” इति । तयोरनुयोगश्चरण करणानुयोगः (१) । धर्मकथानुयोगादयश्चरणकरणयोर्भव्यजीवान् प्रवर्त्तयन्तीति तेषां चरणकरणाङ्गतया प्राधान्यमेतस्यानुयोगस्य, अत एवास्य प्राथम्यम् । उक्तञ्च - आत्मन् | जानीहि पूर्व चरणकरणयोराश्रये यन्महत्त्वं, मोहं दूरीकरोति प्रकटयति परं निश्चयात्मस्वरूपम् । 61 चार पिण्डविशुद्धि, पाच समितियां, बारह भावना, बारह् पडिमा, पांच इन्द्रियनिरोध, पचीस प्रतिलेखना, तीन गुप्तियां, चार अभिग्रह, यह सत्तर ७० प्रकारका करण कहलाता है । इस तरह चरण और करण के अनुयोग को, अर्थात् भगवान् की वाणी के अनुकूल व्याख्यान को चरणकरणानुयोग कहते हैं । तात्पर्य यह है कि -- जिस शास्त्र में चारित्र सम्बन्धी निरूपण है, वह चरणकरणानुयोग समझना चाहिए । धर्मकथानुयोग आदि शेष तीन अनुयोग भव्यजीवों को चरण और" करण में प्रवृत्त करते है, अतः वे इसी अनुयोग के अङ्ग है । इस प्रकार चारों अनुयोगो में चरणकरणानुयोग ही प्रधान है । प्रधान होने के कारण ही इस की गणना सर्वप्रथम की गई है। कहा भी है हे आत्मन् ! चरण और करण में जो महत्त्व है, उसे पहले समझ ले । वह मोह को निवारण करता है, आत्मा के निश्रय अर्थात् वास्तविक स्वरूप को प्रकट करता है, वह सब יי “यार पिंडविशुद्धि, पांथ समितियो, मार भावना, भार पडिभा, पांच इन्द्रिय નિધ, પચીશ પ્રતિલેખના, ત્રણ ગુપ્તિએ, ચાર અભિગ્રહ, આ સર્વ કરણ્ वाय छे.” ॥ १॥ આ પ્રમાણે ચરણુ અને કરણના અનુચેાગને અર્થાત્ ભગવાનની વાણીને અનુકૂલ હું વ્યાખ્યાનને ચરણકરણાનુયાગ કહે છે. તાત્પર્ય એ છે કે જે શાસ્ત્રમાં ચારિત્રસમ્બન્ધી નિરૂપણુ છે તે ચરણકરણાનુયાગ સમજવું જોઇએ. ધર્મકથાનુંયેાગ આદિ બાકીના ત્રણ અનુયાગ ભવ્ય જીવને ચરણ અને કરણમાં પ્રવૃત્ત કરે છે; તેટલા માટે તે પણ એ અનુચેાગનુ અંગ છે. આ પ્રકારે ચારેય અનુયા ગોમાં ચરણકરણાનુયોગ પ્રધાન–મુખ્ય છે. · मुख्य देवाना अरले तेनी गथुना सोथी प्रथम श्री छे, “हे आत्मन्! य२त्रु भने भने भई छे, तेने प्रथम समल से, पशु छे: તે E
SR No.011616
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
Publication Year1958
Total Pages801
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size35 MB
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