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________________ अध्ययन एकवीसन इमं कुलं, विपुलणं हिरण्गणं, सुवण्गेणं, धण्ण, धणेणं, माणिक्षेणं, मोरिए णं, संखसिलप्पवालेणं, अतीव अतीव परिबइ-तं होउणं कुमारे "बहमाणे" । (९९९) तओणं समणे भगवं महावीरे पंचधातिपरिबुडे-तंजहा; खीरधाईए, मज्जणधाईए, मंडावणधाईए, खेल्लावणधाईए, अंकवाईए-अंकाओ अंकं साहारज्जमाणे रस्मे प्रणिकोहिमतले, गिरिकंदरसमल्लीणे व चंपयपायवे, अहाणपुच्चीए संवदइ । (१०००) तओगं समणे भगवं महावीरे विण्णायपरिणये विणियचवालभावे अण्णुस्सयाइ, उरालाई माणुस्सगाई,पंचलखणाई कामभोगाई सद्दफरिसरसरूवगंधाई परियारेमाणे ओमं वति विहरति । (१००१) आधी तेमज पोतानी न्यातमां वेंची करीने पछी (नोतरेला) मित्र जाति स्वजन संबंधिोने जमाडी करीने तेमनी स्वरुमा कुळनी थती वद्धि जगादीने कुमारर्नु "वर्द्धमान" एवं नाम आप्यु. {१९९] हवे श्रमण भगवान् महावीरना मांटे पांच धात्री (दाइओ) राखवामां आ. वी, जवी के दूध धवाडनार धात्री, स्नान करावनार पानी, शणगार करारनार धात्री, खलावनार धात्री, अने खोळाम संभाळनार धानी. ए पांच धावीमा परिक्यों थका अने एकना सोळामांची वीजाना सोळामां जनाथका रम्य रत्नतळवाळा पकानमा रही गिरिगुफामां (पत्नी) बची रहेला चंपकलनी माफक अनुनामे यथा लाग्या १००० याबाद श्रमण भगवान महावीरे विरोपज्ञान अने अनुभवाला होइ थाल्यावस्था टळता अनुत्सुकपणे उत्तम काला गनुप्य मरंधी मन्द-पर्श-सकप-नांध ए पांचे प्रकारना कामभोग भोगरतां धकां काळ व्यतिम करो. [१००१]
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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