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________________ आचारांग-मूळ तथा भापान्तर, इह सेगेसिं णो सण्णा भवइ, तंजहा, पुरथिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि? दाहिणाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसिर पञ्चत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि? उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अहमांस? उडाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि? अहे दिसाओ वा आगओ अहमंसि? अण्णयरीओ वा दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमसि । एवमेगेसिं णो णायं भवइ, अस्थि मे आया उक्वाइए? णत्यि मे आया उ. क्वाइए? के अहमंसि? के वा इओ चुओ इह पेचा भविस्सामि ? (२) से जं पुण जाणेज्जा सहसम्मइयाए, परवागरणेणं, अण्णेसि अंतिए वा सोचा, तंजहा, पुरथिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, जाव अण्णयरीओ दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमसि। एवमेगेसिं णायं भवइ, अत्यि मे आया उववाइए, जो इमाओ दिसाओ अणुदिसाओवा आ जगतमा जेम केटलाक जीवोने (एy) ज्ञान नथी होतुं के हुँ कइ दि-- शाथी (अत्रे) आवेलो छ? पूर्वधी के दक्षिणथी ? पश्चिमी के उत्तरथी ?ऊपरथी के नीचेयी ? अथवा कोइ पण दिशाथी के विदिशाथी? तेज प्रमाणे केटलाक जीवोने एव ज्ञान (पण) नयी होतुं के मारो आत्मा पुनर्जन्म पामनारो छे के नहि? हुँ (अगाउ) कोण हतो? अथवा अहिंथी चवीने २ (जन्मांतरमां) हुँ कोण थइश? (२) हवे [जेओ "हुँ कइ विगायी आव्यो छु" एवू नयी जाणता तेओमांनो] कोइ जीव, जातिस्मरण ३ विगैरे ४ ज्ञानथी, अथवा तीर्थकरना आपेला उत्तरथी अयवा वीजा कोइना पासेपी सांभळीने जाणी शके के हुँ अमुक दिशायी अथवा विदिशाधी आयो तेज प्रमाणे केटलाएकने एवं ज्ञान होय छे के, मारो आत्मा पुनर्जन्य पामना छे, जे आत्मा अमुक दिशा अथवा विदिशाथी आवेलो छे. बने जे अपुक दिया अथवा विदिशा अथवा सर्वदिशाथी आंबलो छे ते ९ /. १ जीव, २ मरीने. ३ जेनापी गया जन्मनी बात याद आवे एवं ज्ञान. १ विगेरे शब्दधी अवधि, मन पर्यव अने केवल ज्ञान.
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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