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________________ [३२६] आचारांग-मूळ तथा भाषान्तर से भिक्खू वा (२) अभिकंखेज्जा उच्छवणं उवागच्छित्तए; जे तत्थ ईसरे, जाव, उग्गहंसि । (८९२) अह भिक्खू इच्छेज्जा उच्छु भोत्तए वा पायए वा, से जं उच्छु जाणेज्जा सअंडं जाव णो पडिग्गाहेज्जा । अतिरिच्छच्छिण्णं तहेव । तिरिच्छच्छिण्णं तहेब । (८९३) से भिक्खू वा (२) सेज्ज पुण अभिकंखेज़ा अंतरुच्छयं १ बा, उच्छुगंडियं वा, उच्छुचोयगं वा, उच्छसालगं वा, उच्छुदालगं बा, सअंडं जाव णो पडिग्गाहेज्जा । [८९४] से भिक्खू वा [२] से ज्जं पुण जागेज्जा अंतरुच्छुथं वा जाव डालगं वा सअंडं जाव णो पडिग्गाहेजा । [८९५] से भिक्खू वा (२) से ज्जं पुण जाणज्जा अंतरुच्छुयं वा जाव डालगं वा अप्पंडं जाव णो पडिग्गाहेज्जा अतिरिच्छच्छिण्णं । (८९६) तिरिच्छच्छिणं तहेव पडिग्गाहेज्जा ।। ८९७] १ पर्वमव्यं । साधु अथवा साध्वीए सेलडीना वनमा मुकाम करता तेना मालेक के मुखीनी रजा लइ रहे. [८९] * त्यां जो सेलडी साधुने खावी पीवी पड़े तो जे सेलडी इंडों के कीडीओथी भरेली हाय के कापेली कूपेली न हे.य ते नहि लेवी किंतु इंडां-कीडिओथी रहित छतां कापेली के छूटी पाडेली होय ते लेबी. [८९३] एज मुजब सेलडीनी गांठो, गंडेरी, फाळियां, रस, के कटका पण इडांकीडीवाळां के कापकूप विनाना हाय ते न लेवां [८९४-८५५-८९६] किंतु इडां फीडीआधी रहित छतां कापेलां कूऐलां देय ते लेदां. [८९७] * जुओ फुटनोट कलम ८८५ नी.
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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