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________________ [३०४] आचारांग-मूळ तथा भाषान्तर. वा परिहरित्तए वा; " थिरं वा णं सतं णो पलिच्छिदिय पलिच्छिदिय परिट्वेज्जा; तहप्पगारं ससंधितं २ वत्थं तरस चेत्र णिसिरेजा; णो अनाणं साइजेज्जा । [८३४) : से एगतिओ तहप्पगारं णिग्यासं सोचा णिसम्म जे भयंतारो तहप्पगाराणि वत्थाणि ससंधियाणि मुहुत्तगं मुहत्तगं जाइत्ता जाव एगाहेण वा दुयाहेण वा तियाहेण वा चउयाहेण वा पंचाहेण वा विप्पवसिय विप्पवत्तिय उवागच्छंति, तहप्पगाराणि वत्थाणि णो अप्पणो गेण्हति अण्णमण्णस्स अणुवयंति, तं चेव, जाव, णो सातिजंति, बहुवयणेण भासियव्वं (८३५) से हंता “ अहमवि मुहुत्तं परिहारियं वत्थं जाइत्ता जाव एगाहेण वा द-ति-चउ-वाहेण वा विप्पवस्सिय विप्पवसिय उवागच्छिरसामि, अवियाइं एवं गमेव सिया” माइट्टाणं संफासे । णो एवं करेज्जा । (८३६ १ उपहत डीने परठव नहि किंतु एवी जातवें वस्त्र पार्छ आफ्नार मुनिनेज साप. [८३४) . . एज प्रमाणे घणा मुनिओ पासेथी घणा मुनिओ वस्त्र मागी वीजे गाय एक वेत्रण चार के पांच दिवस रही पाछा अवी वस्त्र पाछा आपदा मांडे तो घणा मुनिओए ते वस्त्र जो कंइ पण वगडेलां होय तो लेवां नहि-किंतु तेमनेज सोपवा. [८३५] आदी वात सांभळीने कोइ मुनि एवं विचारे के "हुँ पण कोइ मुनि पासे थी उधारं वस्त्र मागी वीजे गाम जइ आ के जेथी ए वस्त्र बगडी जवाथी मनेज मळशे," तो ते मुनि दोष पात्र थाय छे. माटे तेम नहि विचारवं. [८३६] १ छोडी देवू नहि
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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